उमेश तिवारी, Kolkata Desk : एक समय था जब हावड़ा स्टेशन के पास स्थित हावड़ा फिस मार्केट में हर वक्त गहमा-गहमी लगी रहती थी, लेकिन आज आलम यह है कि यहां मछली खरीददारों के दीदार नहीं हो रहे हैं। यास चक्रवात सिर्फ तबाही ही नहीं लाया बल्कि मछली उद्योग को भी बर्बादी की राह पर ले आया है। समुद्री मछली हावड़ा के मछली बाजार में नहीं पहुंचने के कारण थोक विक्रेताओं में मायूसी साफ देखी जा सकती है। मछलियों के थोक विक्रेता शेख बबलू बताते हैं कि समुद्री मछली लोग ज्यादा खरीदते हैं जो अभी नहीं आ रहा है।
मीठे जल वाली मछलियों के दाम बहुत बढे हुए हैं। इस कारण खरीददार कम आ रहें हैं। हावड़ा मछली बाजार समुद्री मछलियों का आढ़त है। यहां से कोलकाता व इसके उपनगरीय इलाकों से भी खरीददार खरीद कर ले जाते थे। 26 मई को आई यास चक्रवात के कारण पश्चिम बंगाल का दीघा, शंकरपुर तथा उड़ीसा का समुद्र तक तबाह हो चुका है। मछुआरों के घर उजड़ गये हैं, उनकी नावें नष्ट हो चुकी है। जिसके कारण वे समुद्र में मछली पकड़ने नहीं जा रहे हैं।
थोक विक्रेता अमजद अली का कहना था कि सिर्फ यास चक्रवात ही नहीं लॉकडाउन के कारण लोकल ट्रेनें बंद है, जिसके कारण खरीददार नहीं आ रहें हैं। इसलिए सुबह सिर्फ दो घंटे का ही मार्केट रहता है।समुद्री मछलियों जैसे पोम्फ्रेट, भोला, लोटे, भेटकी, टेंगरा आदि बाजार में लाये जाते थे, क्योंकि इन मछलियों का स्वाद अतुलनीय है। उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते आए चक्रवात के कारण उड़ीसा के धामरा, बालासोर के मछुआरे प्रभावित हुए हैं।
यद्यपि कई ऐसी मछलियां हैं जो खुदरा बाजार में अधिक कीमतों पर बेची जा रही है क्योंकि उन्हें खरीदने में अधिक लागत आ रही है। अब विक्रेता और खरीदार दोनों उस वक्त का इंतजार कर रहे हैं जब मछुआरे समुद्र में जायेंगे। हावड़ा होलसेल फिश मार्केट के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने बताया कि 25 मेट्रिक टन समुद्री मछछियों का बाजार में आयात किया जाता था।
उड़ीसा से 20 मेट्रिक टन व दीघा-शंकरपुर से 5 मेट्रिक टन मछलियां बाजार में आयात की जाती थी। इसके अलावा मीठे पानी की मछलियां भी अच्छी मात्रा में आती थी। फिलहाल राज्य में समुद्री मछलियों का आयात व्यावहारिक रूप से बंद हो गया है। उन्होंने बताया कि इस मार्केट से सिर्फ बंगाल ही नहीं बिहार और गुवाहाटी जैसे राज्यों को भी समुद्री मछलियां निर्यात की जाती है। परिणाम स्वरूप सभी मछली प्रेमी बंगाली बाबू इन दिनों समुद्री मछली के स्वाद से वंचित हैं।