जन्म कुंडली में मारकेश का विचार करने के लिए कुंडली के दूसरे, सातवें, अष्टम और बारहवें भाव को समझना जरूरी होता है। यह भाव मारकेश कहलाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के आठवें भाव से आयु का विचार किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार तीसरे स्थान को भी आयु स्थान माना जाता है। सप्तम और द्वितीय भाव को मृत्यु स्थान या मारक स्थान कहते हैं। जन्म कुंडली में 12वां भाव व्यय भाव होता है। इस भाव से रोगों का विचार भी किया जाता है।
क्या होता है मारकेश :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मारकेश का अर्थ मृत्यु तुल्य यानी जन्मकुंडली में जो ग्रह मृत्यु या मृत्यु के समान कष्ट दें उन्हें मारकेश कहते हैं।
लक्षण एवं प्रभाव :
व्यक्ति के अंदर हमेशा तनाव या मानसिक संताप और पग-पग पर असम्मान मिलना बने काम बिगडना, मन में हमेशा मृत्यु के विषय में सोंचना, मरने का प्रयास करने का मन होना, परिवार मे बिखराव तथा शारीरिक कमजोरी तथा रोग कम होना आदि भाव होते रहते हैं।
राशि के हिसाब से जानिए कौन-से ग्रह बनाते हैं मारकेश की दशा :
मेष– इस राशि वालों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव का स्वामी होता है। यह गंभीर बीमारियों को जन्म देते है। मेष लग्न में शनि 10वें और 11वें भाव का स्वामी होकर अपनी दशा में मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।
वृष- इस लग्न के लिए मंगल सातवें और बारहवें भाव का मालिक होता है। जबकि बुध दूसरे एवं पांचवें भाव का अधिपति होता है। इस राशि वालों के लिए गुरू, शुक्र और चंद्र मारक ग्रह माने जाते हैं।
मिथुन– इस लग्न में चंद्र और गुरू दूसरे व सातवें भाव के अधिपति माने जाते हैं। चंद्रमा प्रतिकूल स्थिति में होने पर भी जातक का जीवन नष्ट नहीं करता है। मिथुन लग्न में गुरू और सूर्य मारक ग्रह बनते हैं।
कर्क– कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र ग्रह मारकेश होता है।
सिंह– इस राशि वालों के लिए शनि अधिपति होने पर भी जीवन नष्ट नहीं करता है। लेकिन बुध दूसरे और 11 वें भाव अधिपति होकर घोर कष्ट देने की क्षमता रखता है।
कन्या– कन्या लग्न के लिए सूर्य 12वें भाव का स्वामी होकर भी मृत्यु नहीं देता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर जन्म कुंडली में द्वितीयेश शुक्र, सप्तमाधिपति गृह तथा एकादश भाव का स्वामी हो तो मारकेश बनता है।
तुला– तुला लग्न के दूसरे और सातवें भाव का स्वामी मंगल मारकेश नहीं होता है। लेकिन कष्ट जरूर देता है। इस लग्न में शुक्र और गुरू अगर पीड़ित हों तो मारकेश बनता है।
वृश्चिक– इस लग्न के दूसरे भाव का स्वामी गुरू मारकेश नहीं होता है। अगर बुध कमजोर, अष्टम, द्वादश या तीसरे भाव में पाप ग्रहों से युक्त हो तो मारकेश बनता है।
धनु– धनु लग्न में शुक्र निर्बल और क्रूर ग्रहों के साथ विराजमान हो तो मारकेश बनता है।
मकर- इस लग्न में मंगल एवं गुरु अगर पाप ग्रह के साथ अशुभ स्थिति में हों तो मारकेश का फल देते हैं।
कुंभ– कुंभ लग्न में दूसरे भाव का स्वामी मारकेश बनता है, लेकिन शनि 12वें भाव का होकर भी मारकेश नहीं है। मंगल और चंद्र अगर पीड़ित होते हैं तो यह मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं।
मीन– मीन लग्न के लिए शनि और बुध मारकेश बनते हैं।
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