आज देश भर में कोविड-19 की चर्चा हो रही है, चाहे वह अखबार हो या न्यूज़ हर जगह बस यही विषय बना हुआ है। आज चीन से उपजी कोरोनावायरस जैसी महामारी ने पूरे विश्व को सदमे में पहुंचा दिया है। पिछले 3 महीनों में इस महामारी ने अपना शिकार महिला – पुरुष बच्चे – बूढ़े सभी को बनाया है। और यह काला साया दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। “कोरोनावायरस” इस महामारी का नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बदलकर कोविड-19 रखा जिसका अर्थ है, कोरोनावायरस डिसिस जिसकी उत्पत्ति वर्ष 2019 में हुई थी।
आज हमारा विषय है कि इस कोविड-19 ने किस प्रकार स्त्रियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित किया है। इस कोरोनावायरस से इनके सामान्य जीवन पर क्या असर पड़ा है। आज शहरों में स्त्रियों की जीवन- शैली में परिवर्तन देखा जाता है, क्योंकि आज की स्त्रियां खुद को आत्मनिर्भर बनाने में सफल हो रही है। वो घर की चौका रसोई सभी काम समेट कर बाहर काम करने में भी समर्थ होती जा रही है। परंतु आज इस महामारी के दौरान उनको कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा के कारण हमारे देश की स्त्रियों में जागरूकता आई है, वह आत्मनिर्भर होना चाहती है।
इसी प्रकार गांव की स्त्रियां भी घरों से निकलकर काम करने में सक्षम हो रही है। चाहे वह सिलाई – कढ़ाई हो या कपड़े का या अन्य कोई काम वह कर रही हैं। यदि हम पुरुषों के मुकाबले देखें तो स्त्रियों का वेतन कम होता है, परंतु वह उतने में ही अपनी गृहस्थी चलाना खूब जानती है। पर आज इस महामारी के दौरान उन पर दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ उनको इस संकट की घड़ी में घर भी चलाना है, तो दूसरी तरफ सब को एक बंधन में बांध कर रखना भी है। जिन स्त्रियों के बच्चे पुरुष सभी घर पर हैं, वह सभी खाली समय पर तरह-तरह के व्यंजनों की फरमाइश करते हैं, ऐसी स्थिति में स्त्रियों को घर का राशन भी महीने भर चलाना होता है और बच्चों की इच्छाओं को भी पूरा करना पड़ता है।
और ऐसी भी स्त्रियां है, जो इस कोरोनावायरस में ऑनलाइन बाहर के काम संभाल रही है। जिससे स्त्रियों पर शारीरिक खटनी भी अधिक पड़ रही है। सभी स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को घर पर पढ़ाना और साथ ही साथ अपना व्यवसाय क्षेत्र भी देखना पड़ रहा है। इन सब का उन पर दोहरा दबाव पड़ रहा है, इस बीच उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। आज घर का राशन हो या साग – सब्जी दूध इत्यादि सभी के दामों में वृद्धि होने के कारण ग्रहणीयों के घरेलू बजट पर भी काफी असर पड़ा है।
यदि इस दौरान कोई महिला गर्भवती है, तो उन्हें बार-बार चेकअप के लिए अस्पताल जाना पड़ता है। इन परिस्थितियों में साधन मिलना अत्यंत कठिन हो गया है। और कोई भी डॉक्टर घर पर आने को सहमत नहीं, इस प्रकार यदि हम देखें तो इस महामारी के दौरान महिलाओं के जीवन में सबसे अधिक फर्क आया है। चाहे वह आर्थिक रूप से हो या शारीरिक रूप से या फिर मानसिक रूप से इस कोविड-19 ने स्त्रियों के जीवन पर अपना प्रभाव डाला है।
टीएचके जैन कॉलेज