हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद

आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। पिछले कई दशकों से खेलों विशेषकर हॉकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिसड्डी होने के जिम्मेदार हम खुद ही रहे हैं!!! क्या आपको पता है कि जिस खिलाड़ी के नाम पर “राष्ट्रीय खेल दिवस” मनाया जाता है और जिस “हॉकी के जादूगर” की प्रतिभा का एडोल्फ हिटलर भी कायल था, जिस कालजयी खिलाड़ी की ‘चार हाथों और चार हॉकी स्टिक’ वाली प्रतिमा वियना, ऑस्ट्रिया में स्थापित है; उस महान खिलाड़ी को इस देश में बीमार होने पर एम्स, दिल्ली के जनरल वार्ड में भर्ती किया गया था और हॉकी का वह बेताज बादशाह देश के सबसे बड़े अस्पताल में अनाथों की तरह, मुफलिसी में मर गया।

इस से पहले भी अहमदाबाद में हॉकी मैच आयोजकों ने मेजर ध्यानचंद को पहचानने से इनकार कर दिया था। तब उन्हें मैच देखे बिना ही बैरंग वापस लौटना पड़ा था।

विडंबना देखिए कि जिन ‘भारत रत्न?’ राजीव गाँधी ने शायद कभी गुल्ली डंडा भी न खेला हो, उनके नाम पर राष्ट्रीय खेल दिवस पर अब से कुछ वर्ष पूर्व तक “राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड’ बंटता रहा है????
और उनके पुत्र अपने पिता से भी चार कदम आगे निकले।

2011 में मेजर ध्यान सिंह बैस का नाम देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” के लिए पीएमओ को भेजा गया था, लेकिन ‘सुपर पीएम’ और सभी खेलों के महारथी ने मेजर ध्यानचंद के तीन ओलंपिक गोल्ड मैडल,185 मैचों में 570 गोल को ‘भारत रत्न’ के लायक न समझा और उनका नाम काटकर राजनीतिक स्वार्थवश रातों- रात सचिन तेंदुलकर को ‘भारत रत्न’ बना दिया गया।

इसके बाद आई सरकारों की वोट बैंक की राजनीति में मेजर ध्यानचंद फिट नहीं हुए। क्योंकि वो दलित नहीं थे, अल्पसंख्यक नहीं थे, यहां तक कि पिछड़े भी नहीं थे।

कहते हैं कि सरकार की बेरुखी से ख़फ़ा मेजर ध्यानचंद अपने बच्चों से कह गए थे कि पान की दुकान खोल लेना लेकिन इस देश के लिए हॉकी मत खेलना। हालांकि अभी तीन वर्ष पूर्व भारत सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार उनके नाम पर कर के कुछ तो भूल सुधार किया है। शायद इसी का परिणाम यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खिलाड़ी अब बेहतर प्रदर्शन करने लगे हैं। पिछले ओलंपिक में भी भारत को पदक मिला था और इस बार के फ्रांस ओलंपिक में भी भारतीय हॉकी टीम कांस्य पदक पदक पाने में सफल रही है।

लेकिन यदि हॉकी के जादूगर को मरणोपरांत “भारत रत्न” भी मिल जाए, तो यह उस खेल महारत्न के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eight + eight =