हिंदी दिवस पर हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन हुआ

“साहचर्य का सौंदर्यशास्त्र तमाम सौंदर्यशास्त्रों से बेहतर होता है।”- प्रो. अरुण होता

कोलकाता। हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार व पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, बारासात के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 18 सितम्बर, 2024 को ‘हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता’ आयोजित की गयी। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आलोचक प्रो. अरुण होता, खादी ग्रामोद्योग आयोग के राजभाषा अधिकारी प्रभु प्रसाद यादव, पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार, कल्याणी विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के अध्यक्ष व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु कुमार, ऋषि बंकिम चन्द्र कॉलेज, नैहट्टी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ऋषिकेश कुमार सिंह, बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेन्द्रनाथ कॉलेज, हिन्दी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बिक्रम कुमार साव उपस्थित थें।

कार्यक्रम के आरंभ में खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारी प्रभु प्रसाद यादव ने हिंदी भाषियों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में छात्रों के लिए अवसर और संभावनाओं पर जोर देते हुए बताया कि ‘हिन्दी भाषा रोजगार की भाषा है। हमारी संस्था सदैव युवाओं, विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करती रहती है।’ कल्याणी विश्वविद्यालय के डॉ. हिमांशु कुमार ने प्रोफेसर होता के कथनों के हवाले कहा कि ‘भारतवर्ष के राष्ट्रीय आंदोलन में जिन मुख्य शस्त्रों का प्रयोग किया गया था उसमें खादी और हिन्दी की बड़ी भूमिका थी।’ आर.बी.सी. कॉलेज के डॉ. ऋषिकेश कुमार सिंह ने हिंदी भाषा भाषियों को श्रेष्ठता बोध से बचने की सलाह दी। डॉ. विनोद कुमार ने ‘हिंदी भाषा का सम्मान करने साथ-साथ अपनी मातृभाषा को भी बचाए रखने की सलाह दी।’

वरिष्ठ आलोचक प्रोफेसर अरुण होता ने कहा कि “यह हिंदी जितनी भारतीय भाषाओं से समृद्ध हुई है उतनी ही अन्य भारतीय भाषाओं को समृद्ध भी की है। यह एक भाषाई पारस्परिक सौहार्द हैं। यह भाषाई सौहार्द ही जीवन में उतरने पर नयापन, सामंजस्यता लाती है। इससे नये समाज गठित होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यही सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय एकता की नींव होती है और आगे भी होगी। ‘अपनी भाषा’ संस्था का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस संस्था का उद्देश्य भी यही है।

अपनी भाषा बांग्ला, हिंदी सहित अन्य सभी भारतीय भाषाओं को ले कर चलती है। ‘अपनी भाषा’ में भाषाई वैमनस्य की भावना नहीं है। हम कोशिश करते हैं कि यहाँ कि भाषा, संस्कृति सीखें लेकिन जब कभी-कभी दिमागी संतुलन कुछ नेताओं का बिगड़ जाता है, हम हिंदी भाषी को, चाहे वह बंगवासी ही क्यों न हों, अगर हिंदी बोल रहा हो तो उनके लिए वह ‘बोहीरागतो’ हो जाते हैं। मूलतः यह भाषागत दृष्टि से हमें बाँटने का एक षड्यंत्र है।

उन्होंने कहा हम हिन्दी भाषी हैं, हमारा दिल बड़ा है, हिन्दी पढ़कर हम उदारमना होने का संस्कार ग्रहण करते है, हम उस संस्कार को बनाए रखेंगे यानी आज के दिन यहीं संकल्प हैं कि यह जो भाषाई साहचर्य है वह जीवन में भी बना रहे, हम सिर्फ वक्तव्य में नहीं वास्तविक रूप में भी हिन्दी सहित तमाम भाषाओं में पारस्परिक साहचर्य स्थापित करें।

मूलतः साहचर्य का जो सौन्दर्यशास्त्र होता है वह तमाम सौन्दर्यशास्त्रों से बेहतर होता है” प्रो. अरुण होता ने विश्वविद्यालय की तरफ से खादी और ग्रामोद्योग आयोग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आयोग के उद्देश्यों को सफल बनाने के लिए विभाग और विश्वविद्यालय द्वारा पूरा सहयोग का आश्वासन दिया।

आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सपना कुमारी ठाकुर द्वितीय स्थान संजना साव एवं तृतीय स्थान विजय सिंह ने‌ प्राप्त किया। पुरस्कार स्वरूप इन्हें उपहार और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। इससे इतर दिनेश सिंह, नेहा साव, पायल कुमारी, नैन्सी पाण्डेय, विदिप्ता दास को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बिक्रम कुमार साव के द्वारा किया गया।

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