अशोक वर्मा “हमदर्द” की दिल छू जाने वाली कहानी : “जख्म बेवफाई का”

अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। आलोक एक सादगी पसंद और शांत स्वभाव का युवक था। उसकी दुनिया छोटी थी- पढ़ाई, नौकरी और माता-पिता की सेवा। जीवन में उसने प्यार की कल्पना तो की थी, पर कभी अपने भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं किया। उसकी जिंदगी में किसी चीज की कमी थी, लेकिन उसे एहसास तब हुआ जब रूबी नाम की लड़की उसकी जिंदगी में आई।

रूबी अपने आत्मविश्वास और चंचल स्वभाव के लिए जानी जाती थी। उसकी मुस्कान में जादू था और उसके शब्दों में मोहब्बत। वह आलोक के ऑफिस में नई आई थी। आलोक के सीधेपन और सच्चाई ने रूबी को आकर्षित किया। धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती हुई और यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला।

रूबी और आलोक के बीच का रिश्ता हर दिन मजबूत होता गया। आलोक ने पहली बार अपने जीवन में इतनी खुशी महसूस की। रूबी उसकी प्रेरणा बन गई थी। उसके साथ वक्त बिताना, उसकी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना- यह सब आलोक के जीवन का हिस्सा बन चुका था।

एक दिन आलोक ने रूबी को अपने दिल की बात कहने की ठानी। उसने एक खूबसूरत शाम पर उसे पार्क में बुलाया। जब रूबी वहां पहुंची, आलोक ने एक गुलाब का फूल उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा, “रूबी, तुम मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा बन गई हो। क्या तुम हमेशा के लिए मेरी जिंदगी का हिस्सा बनोगी?”

रूबी मुस्कुराई और कहा, “मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं, आलोक।”
इस जवाब ने आलोक को दुनिया का सबसे खुश इंसान बना दिया।
समय बीतता गया। आलोक ने रूबी के लिए अपने परिवार से बात की और शादी की तैयारी शुरू कर दी। उसकी माँ ने रूबी को खुले दिल से स्वीकार किया। लेकिन आलोक यह नहीं जानता था कि उसके सपनों की यह दुनिया केवल एक भ्रम थी।

रूबी, जो अपने स्वतंत्र जीवन की आदि थी, को आलोक के साथ जीवन बिताने का विचार अब भारी लगने लगा। वह आलोक को पसंद तो करती थी, लेकिन उसकी मोहब्बत सिर्फ एक हद तक थी। उसका झुकाव एक और व्यक्ति, रोहित की ओर बढ़ने लगा। रोहित एक अमीर और आकर्षक युवक था, जो रूबी की हर छोटी-बड़ी इच्छाओं को पूरा करता था। रूबी अब दोहरी जिंदगी जीने लगी। एक ओर आलोक की सच्ची मोहब्बत थी, तो दूसरी ओर रोहित का दिखावटी ऐशो-आराम।

एक दिन आलोक ने रूबी को रोहित के साथ एक कैफे में देखा। वह दोनों हाथ पकड़कर बातें कर रहे थे। आलोक के दिल में शक की आग भड़क उठी, लेकिन उसने अपने दिल को समझाया कि शायद यह उसका वहम होगा। लेकिन यह वहम ज्यादा दिन नहीं टिक पाया। धीरे-धीरे रूबी का बर्ताव बदलने लगा। वह आलोक से मिलने में टालमटोल करने लगी। फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर दिया। आलोक ने कई बार उससे पूछा, “क्या हुआ है, रूबी? क्या मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं हूँ?”

रूबी हमेशा यही कहती, “तुम सोचते बहुत हो, आलोक। सब ठीक है।”
लेकिन एक दिन सच खुद-ब-खुद सामने आ गया। आलोक ने रूबी का फोन देखा, जिसमें रोहित के साथ उसके कई मैसेज और तस्वीरें थी। वह स्तब्ध रह गया। उसकी दुनिया जैसे खत्म हो गई।
आलोक ने रूबी को बुलाया और उससे पूछा, “क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं था? मेरी मोहब्बत झूठी थी?”
रूबी ने नजरें झुका लीं और कहा, “आलोक, तुम बहुत अच्छे हो। लेकिन मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन नहीं बिता सकती। मैं रोहित से प्यार करती हूं।”

उस दिन आलोक ने अपने जीवन की सबसे बड़ी चोट झेली। उसने रूबी को जाने दिया, लेकिन उसके अंदर का इंसान टूट चुका था। रूबी के जाने के बाद आलोक पूरी तरह से बदल गया। वह अब दिन-रात काम में डूबा रहता। उसके चेहरे पर मुस्कान की जगह एक गहरी उदासी ने ले ली थी। दोस्तों और परिवार ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह किसी से कुछ नहीं कहता। उसकी रातें अब बेचैनियों से भरी रहती थी। तकिए पर सिर रखते ही रूबी की यादें उसे घेर लेतीं। उसकी पीड़ा इतनी गहरी थी कि उसने सब कुछ अंदर ही अंदर सह लिया।

कुछ महीनों बाद रूबी को रोहित की असलियत पता चली। रोहित केवल उसके साथ वक्त बिताना चाहता था। जब रूबी ने उससे शादी की बात की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। रूबी को तब एहसास हुआ कि उसने अपनी सच्ची मोहब्बत को खो दिया है।

वह आलोक के पास वापस गई, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। आलोक ने उसे साफ शब्दों में कहा, “रूबी, मैंने तुम्हें अपनी पूरी आत्मा से चाहा। लेकिन तुमने मेरी सच्चाई को नकार दिया। अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है जो तुम्हें दे सकूं।” आलोक ने रूबी को माफ कर दिया, लेकिन उसके दिल का जख्म कभी भर नहीं पाया। उसने अपने दर्द को अपनी ताकत बना लिया और एक नई जिंदगी की शुरुआत की।

इस कहानी ने एक बात सिखाई- सच्चा प्यार किसी को बार-बार नहीं मिलता। जो इसे खो देता है, वह केवल पछतावा ही पा सकता है।

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक

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