Supreme Court reprimanded former Bengal minister Partha Chatterjee

बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला को लेकर 15 जनवरी को होगी सुनवाई

नयी दिल्ली/कोलकाता। उच्चतम न्यायालय पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ठहराने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 15 जनवरी को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही कहा कि उसके सामने दो विकल्प हैं – या तो तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की फिर से सुनवाई करे या इसे दो न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जो 19 दिसंबर को अंतिम दलीलें सुनना शुरू करेगी।

वकीलों की दलीलों पर गौर करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 15 जनवरी को अपराह्न दो बजे उनकी और न्यायमूर्ति कुमार की दो न्यायाधीशों वाली पीठ द्वारा की जाएगी।शीर्ष अदालत में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका सहित 124 याचिकाएं लंबित हैं।

पीठ ने इससे पहले कई प्रक्रियात्मक निर्देश जारी किए थे और चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया था तथा उनसे विभिन्न पक्षों के वकीलों से विवरण प्राप्त करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक साझा संकलन दाखिल करने को कहा था।

इसने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील आस्था शर्मा के साथ-साथ शालिनी कौल, पार्थ चटर्जी और शेखर कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया।

पिछले साल 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के उन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी, जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर हाईकोर्ट ने उनकी सेवाएं रद्द कर दी थीं।

हालांकि, कोर्ट ने सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह राज्य कैबिनेट के सदस्यों की भी जांच कर सकती है।

याचिकाओं पर राहत देते हुए पीठ ने सीबीआई से कहा कि वह अपनी जांच के दौरान किसी संदिग्ध की गिरफ्तारी जैसी कोई जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करे।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य के जिन शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दी गई थीं, यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उनकी भर्ती अवैध थी, तो उन्हें वेतन और अन्य भत्ते वापस करने होंगे।

शीर्ष अदालत ने कथित भर्ती घोटाले को “व्यवस्थागत धोखाधड़ी” करार दिया और कहा कि राज्य के अधिकारी 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं।

नियुक्तियों को रद्द करने के अलावा कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया की जांच करने और तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

24,640 रिक्त पदों के लिए राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी)-2016 में 23 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए।

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