Healthy children told the story of freedom from thalassemia through bone marrow transplant

बोन मैरो ट्रांसप्लांट से स्वस्थ बच्चों ने सुनाई थैलेसीमिया से आजादी की कहानी

कोलकाता। कोलकाता के टाटा मेडिकल सेंटर (Tata Medical Centre)  में थैलेसीमिया से स्वस्थ हो चुके बच्चों के साथ बाल दिवस समारोह आयोजित किया गया, जहां डॉक्टरों ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट के फायदों पर प्रकाश डाला। एक समय था जब थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का जीवित रहना बेहद मुश्किल था। उन्हें नियमित अंतराल पर रक्त चढ़ाना पड़ता था।

ब्लड बैंक से रक्त का इंतजाम करना बड़ी समस्या थी। डॉक्टर विशेष उपचार के माध्यम से उनके रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने की कोशिश करते थे। इस समस्या को दूर करने के लिए हाल के वर्षों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट को लागू किया गया है।

डॉक्टरों ने बताया कि अगर एक बार मरीज का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर दिया जाए तो बार-बार रक्त चढ़ाने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रभावित बच्चे पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकते हैं।

थैलेसीमिया से पीड़ित गरीब बच्चों को पूरी तरह से स्वस्थ करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने थैलेसीमिया सोसायटी ऑफ इंडिया और विभिन्न कॉर्पोरेट संगठनों के साथ हाथ मिलाया है। बार-बार रक्त चढ़ाने की बजाय, अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट की मदद से मरीज को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

Healthy children told the story of freedom from thalassemia through bone marrow transplant

थैलेसीमिक्स इंडिया की सचिव शोभा तुली ने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कोल इंडिया और विभिन्न कॉर्पोरेट संगठन मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को इस रोग से पूरी तरह मुक्ति दिलाने का काम कर रहे हैं।

देश भर में 17 सूचीबद्ध अस्पताल हैं, जहां बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से उपचार की सुविधा उपलब्ध है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, कोल इंडिया बच्चों के इलाज के लिए 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

अब तक देश भर में 610 से अधिक बच्चों की मदद की जा चुकी है। उनके परिवार कभी सोच भी नहीं सकते थे कि इस बीमारी से ठीक होना संभव है।

टाटा मेडिकल सेंटर के निदेशक डॉ. पी. अरुण ने कहा कि भले ही थैलेसीमिया एक जटिल रोग है, लेकिन इस रोग से छुटकारा संभव है। थैलेसीमिया विशेषज्ञ डॉक्टर अरिजीत नाग ने बताया कि छोटे बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से इलाज करने पर उन्हें पूरी तरह स्वस्थ किया जा सकता है। इसके लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

हालांकि यह इलाज महंगा है, लेकिन कई संगठन इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। जिस व्यक्ति से बोन मैरो लिया जाता है, उसे कोई खतरा नहीं होता। स्थानीय विधायक तपस चटर्जी ने टाटा मेडिकल सेंटर द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

Healthy children told the story of freedom from thalassemia through bone marrow transplant

कार्यक्रम के दौरान, माता-पिता ने साझा किया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद उनके बच्चे कैसे स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − 16 =