हरियाली अमावस्या आज, जानिए पूजा विधि

इस विधि से करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

वाराणसी। इस साल 4 अगस्त 2024 को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। यह माह भगवान शिव की पूजा अर्चना को समर्पित है। माना जाता है कि सावन में शंकर जी की पूजा पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दौरान आने वाले सभी सोमवार को शिव जी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में न केवल सोमवार बल्कि अन्य व्रत और त्योहारों को भी शुभ माना जाता है। इसमें हरियाली अमावस्या का नाम मुख्य रूप से शामिल है।

शास्त्रों के अनुसार हरियाली अमावस्या पर गंगा स्नान करने से सभी पाप से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दौरान विष्णु जी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं इस साल 4 अगस्त 2024 को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन विधि अनुसार पूजा पाठ करने से तमाम तरह की समस्याओं का निवारण होता है। ऐसे में पूजा की सही विधि का मालूम होना बेहद जरूर ही। इसी कड़ी में आइए हरियाली अमावस्या की पूजन विधि के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

हरियाली अमावस्या पर शुभ योग : साल 2024 में हरियाली अमावस्या 4 अगस्त को है। इस दिन सुबह से ही शिववास योग बन रहा है। इस योग के दौरान भगवान शिव माता गौरी के साथ रहते हैं। इस योग में शिव-पार्वती की पूजा करने से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही रविवार के दिन हरियाली अमावस्या होने के कारण रवि पुष्य योग का निर्माण भी हो रहा है, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह योग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी अमावस्या तिथि के दिन रहेगा। इन शुभ योगों के चलते इस दिन पूजा-पाठ, दान और तर्पण करना बेहद शुभ माना जा रहा है।

पूजा का शुभ मुहूर्त : प्रातःकाल में पूजा दान पुण्य और तर्पण के लिए शुभ समय: अमावस्या तिथि के दिन आप सुबह 5:30 से लेकर 8:00 बजे तक भगवान शिव की पूजा के साथ ही दान-पुण्य और पितृ तर्पण कर सकते हैं। हालांकि दान के लिए यह पूरा ही दिन शुभ माना जाएगा।

मध्याह्न में पूजा का शुभ समय : हरियाली अमावस्या के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा इस दौरान भी आप शिव आराधना या शिव जी के मंत्रों का जप कर सकते हैं।

सायंकाल पूजा का समय : शिव पूजन के लिए सांयकाल का समय भी अच्छा माना जाता है इस दौरन आप 6:00 बजे से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। इन मुहूर्तों में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें और बेलपत्र, धतूरा, एवं पुष्प अर्पित करें।

हरियाली अमावस्या पूजा विधि : हरियाली अमावस्या के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें। फिर पूजा स्थल पर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर के रख लें। बाद में चौकी लगाकर उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति विराजमान करें। इसके बाद महादेव का विधि पूर्वक अभिषेक करें। फिर धीरे-धीरे शिव जी को फल, फूल, धूप और मिठाई अर्पित करते जाएं। इस दौरान घी का दीपक भी जलाएं। बाद में शिव चालीसा का पाठ करें।

हरियाली अमावस्या की कथा : कहा जाता हैं कि एक राजा की बहू ने एक दिन मिठाई चोरी करके खा ली और नाम एक चूहे का ले दिया। यह बात जानकर चूहे को क्रोध आया और उसने तय किया कि एक दिन राजा के सामने सच लेकर ही आऊंगा। फिर एक दिन राजा के यहां अतिथि पधारे और राजा के ही अतिथि कक्ष में सोए। चूहे ने रानी के वस्त्र ले जाकर अतिथि के पास रख दिए। प्रात:काल उठकर सभी लोग आपस में बात करने लगे कि छोटी रानी के कपड़े अतिथि के कमरे में मिले। यह बात जब राजा को पता चली तो उस रानी को घर से निकाल दिया।

रानी प्रतिदिन संध्या को दीया जलाती और ज्वार बोती और पूजा करके गुड़-धानी का प्रसाद बांटती थीं। फिर एक दिन राजा शिकार करके उधर से निकले तो राजा की नजर रानी पर पड़ी। राजा ने महल में आकर कहा कि आज तो वृक्ष के नीचे चमत्कारी चीज हैं, अपने झाड़ के ऊपर जाकर देखा तो दीये आपस में बात कर रहे थे। आज किसने क्या खाया, और कौन क्या है? इसमें से एक दीया बोला आपके मेरे जान-पहचान के अलावा कोई नहीं है। आपने तो मेरी पूजा भी नहीं की और भोग भी नहीं लगाया बाकी के सब दीये बोले- ऐसी क्या बात हुई? तब दीया बोला- मैं राजा के घर का हूं, उस राजा की एक बहू थी।

उसने एक बार मिठाई चोरी करके खा ली और चूहे का नाम ले लिया। जब चूहे को क्रोध आया तो रानी के कपड़े अतिथि के कमरे में रख दिए। और राजा ने रानी को घर से निकाल दिया। वो रोज मेरी पूजा करती थी, भोग लगाती थी। उसने रानी को आशीर्वाद दिया और कहा कि सुखी रहे। उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी अतिथि के कमरे में रखी थी और बेकसूर रानी को सजा मिल गई। फिर सब लोग पेड़ पर से उतरकर घर आए और कहा कि रानी का कोई दोष नहीं था। यह सुनकर राजा ने रानी को घर बुलाया और फिर सभी सुखपूर्वक रहने लगे।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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