अहमदाबाद। गुजरात के मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर हुई मारपीट के बाद मामला लगातार गरमाता जा रहा है। मारपीट की घटना के बाद जिग्नेश मेवाणी ने घोषणा की है कि गुजरात में दलित के अधिकार को लेकर 2 नवंबर से आंदोलन करेंगे। हालांकि इस मामले में गुजरात सरकार ने 6 लोगों को 21 लाख के मुआवजा देने की घोषणा की है। कच्छ के नीर गांव में दलित परिवार के मंदिर में प्रवेश को लेकर कुछ समुदाय का विरोध तब बढ़ गया, जब नवनिर्मित मंदिर में प्रवेश देने को लेकर कुछ समुदाय के लोगों ने दर्शन करने पहुंचे परिवार पर हमला कर दिया।
गांव में दूसरे समुदाय के लोगों ने दलित परिवार के मंदिर में दर्शन पर विरोध जताकर इतना ज्यादा हंगामा किया कि गांव के 20 से ज्यादा लोगों ने जगाभाई वाघेला के परिवार पर हमला बोल दिया। हमला इतना जबरदस्त था कि 6 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जो पूरी तरह से खून में लथपथ थे। जगाभाई वाघेला ने बताया कि हमलावरों ने उन्हें लकड़ी के डंडे, पाइप और कुल्हाड़ी जैसे हथियारों से पीटा।
साथ ही दोबारा से कभी मंदिर में नहीं आने के साथ-साथ परिवार को जान से मार देने की धमकी भी दी। मामले में पुलिस के जरिए अब तक 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जिसमें से 5 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और बाकी अपराधियों की तलाश जारी है।
कच्छ एसपी मयूर पाटिल ने बताया कि इस मामले में जिन्होंने भी हमला किया है। पुलिस उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी। हालांकि अब इस मामले में जिग्नेश मेवाणी भी मैदान में उतर गए हैं। उन्होंने कहा कि जब दलितों पर हमला होता है और वह भी कच्छ जैसे इलाके में जहां पर खुद सांसद आरक्षण की सीट से चुनाव लड़ रहे हों, रापर के विधायक भी दलित हों वहां पर इस तरह का हमला कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है।
जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि 2 तारीख को वह रापर के अमीर गांव में पहुंचेंगे और यहां जो दलित परिवार है उनको अपने साथ लेकर मंदिर में प्रवेश करेंगे। जिग्नेश मेवाणी ने सरकार को भी खुली चुनौती देते हुए कहा कि सरकार किसी हमले के बाद ही क्यों जाती है। क्यों गुजरात में दलितों के हक की रक्षा नहीं होती है।