महान क्रांतिदर्शी भगवान बिरसा मुंडा ने जगाया भारत का स्वाभिमान

जननायक बिरसा मुंडा जयंती – जनजातीय गौरव दिवस पर विक्रम विश्वविद्यालय में दो परिसंवाद सम्पन्न

उज्जैन । महान जननायक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्रांतिदर्शी बिरसा मुंडा के जीवन, व्यक्तित्व और योगदान के विविध पक्षों पर महत्वपूर्ण व्याख्यान हुए। परिसंवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य वक्ता के रूप में कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने विचार व्यक्त किए। शालिग्राम तोमर छात्रावास एवं विद्योत्तमा छात्रावास के सभागार में दो परिसंवाद आयोजित किए गए। कार्यक्रमों में विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. एस.के. मिश्रा, मुख्य प्रपालक डॉ. डी.डी. बेदिया, प्रपालक डॉ. रमण सोलंकी एवं डॉ. नयनतारा डामोर ने विचार व्यक्त किए।

परिसंवाद को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत की धन-सम्पदा को लूटने के साथ हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया था। भारत एक समृद्ध राष्ट्र था। हमारी सामाजिक व्यवस्था और राष्ट्र के प्रति निष्ठा को समाप्त करने की कोशिश ब्रिटिश शासन ने की। भगवान बिरसा मुंडा ने उनके खिलाफ संघर्ष कर हमारे स्वाभिमान को जागृत किया। उन्होंने प्रकृति और संस्कृति के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की। बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की मुक्ति के लिए प्रयास किए।

कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने भगवान बिरसा मुंडा की जीवन गाथा प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे सभी प्रकार के दमन चक्र के विरुद्ध खड़े हुए थे। भगवान बिरसा मुंडा ने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करने के लिए जनजाति समुदाय के लोगों को जागृत किया। उन्होंने असंख्य आदिवासियों और किसानों को अंग्रेजों के अत्याचारों और शोषण चक्र के विरुद्ध खड़ा किया। उन्होंने लोगों के बीच राजनीतिक दृष्टि जागृत की। उलगुलान के रूप में उनकी आवाज जनजाति विद्रोह के रूप में निरन्तर आगे बढ़ी। उनकी स्मृति में जनजातीय गौरव दिवस संपूर्ण देश में मनाया जाता है।

कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आधुनिक भारत में सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक क्रांति के पुरोधा थे। अंधविश्वास और रूढ़ियों से मुक्त करने के लिए उन्होंने धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से जनजातीय समुदाय के मध्य नव चेतना का संचार किया। स्वदेश और स्व संस्कृति की रक्षा के लिए वे प्राणपण से जुटे रहे। वनांचल और पर्यावरण संतुलन के साथ राष्ट्र की रक्षा के लिए उन्होंने मुंडा, उरांव एवं अन्य समुदायों के मध्य व्यापक जागरूकता पैदा की।

कार्यक्रम में विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र किशोर मिश्रा, मुख्य पालक डॉ. डी.डी. बेदिया, प्रपालक डॉ. रमण सोलंकी, कन्या छात्रावास की प्रपालिका डॉ. नयनतारा डामोर आदि ने महान क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर प्रकाश डाला। इन कार्यक्रमों में डॉ. अजय शर्मा, डॉ. दीपा द्विवेदी, छात्र प्रतिनिधि युवराज पंड्या, आदर्श चौधरी, साक्षी यादव, जगबीर सिंह, संजय सेन आदि सहित अनेक कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

शालिग्राम तोमर छात्र, छात्रावास में आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रमण सोलंकी थे। विद्योत्तमा एवं डॉ. रमाबाई अंबेडकर छात्रावास के परिसंवाद कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नयनतारा डामोर एवं संचालन शुभी पाराशर ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. दीपा द्विवेदी ने किया।

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