सरकार कर रही है 5 लाख़ टन प्याज की खरीददारी

सरकार द्वारा प्याज़ निर्यात प्रतिबंध हटाने के साथ 5 लाख टन बफर स्टॉक बनाने, बाजार दरों पर प्याज खरीदना शुरू
सरकार द्वारा प्याज निर्यात पर प्रतिबंधित निर्यात मूल्य व 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से क़रीब 64 रुपया प्रति किलोग्राम से कम भाव पर निर्यात अनुमति नहीं होना रेखांकित करने वाली बात-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनावी महापर्व 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक शुरू होने से आदर्श आचार संहिता लगी हुई है, जिसका पालन अति सख़्ती से किया जा रहा है। यहां तक कि पारिस्थितिकजन्य स्थितियों से निपटने के लिए किन्हीं वस्तुओं सेवाओं के मूल्य घटने बढ़ने या कोई नीति परिवर्तन करने का, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रभाव आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दर्जे में हो सकता है, इसीलिए सरकारों के लिए भी कोई नीति निर्धारण करना या परिवर्तन करने के लिए न केवल दस बार सोचना पड़ता है, बल्कि चुनाव आयोग की अनुमति भी लेना अनिवार्य बन जाता है। यही कारण है कि, उपभोक्ता मामलों की सचिव ने सामान्य उपलब्धता, स्थिर कीमतों और सर्दियों की फसल से 1.91 लाख टन होने वाले मजबूत उत्पादन का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को प्याज की दरें बढ़ने की उम्मीद नहीं है, इसलिए केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाने से पहले निर्वाचन आयोग की अनुमति ली है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने यह जानकारी दी, वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क और 550 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की शर्तों के तहत प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटाने के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति ली है। सरकार नें प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटा दिया था। इस फैसले से बड़ी संख्या में किसानों को मदद मिलेगी। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जबकि महाराष्ट्र सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान आज 13 मई 2024 शुरु है। सरकार 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (लगभग 46 रुपये प्रति किलोग्राम) के साथ ही 40 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया है। इस शुल्क को देखते हुए 770 डॉलर प्रति टन या 64 रुपये प्रति किलोग्राम से कम भाव पर प्याज निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्याज के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का निर्णय उपभोक्ता मामलों के विभाग की सिफारिश पर लिया गया है। विभाग देश में प्याज की उपलब्धता और कीमत की स्थिति पर नजर रखता है। पिछले साल आठ दिसंबर को केंद्र ने उत्पादन में संभावित गिरावट की चिंताओं के बीच खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले 4-5 साल के दौरान देश से सालाना 17 लाख से 25 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है।

उपभोक्ता मामलों की सचिव ने शनिवार को कहा कि प्रतिबंध हटने से खुदरा बाजार में कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी। उन्होंने कहा, कीमतें स्थिर रहेंगी। अगर कोई बढ़ोतरी होती है, तो यह बहुत मामूली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए दिनांक 12 मई 2024 को मीडिया में सरकारी हवाले से खबर आई कि, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने कीमतों में वृद्धि होने पर आपूर्ति बढ़ाने के लिए 2024-25 के लिए पांच लाख टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए बाजार दरों पर किसानों से प्याज खरीदना शुरू कर दिया है। यदि प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो बफर सरकार को बाजारों में हस्तक्षेप करने की इजाजत देगा। खासकर तब जब सरकार ने पिछले सप्ताह प्याज निर्यात परसे प्रतिबंध हटाने का एलान कर दिया है। चूंकि सरकार द्वारा प्याज निर्यात प्रतिबंध हटाने के साथ 5 लाख टन बफर स्टॉक बनाने बाजार दरों पर प्याज खरीदना शुरू है। इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे सरकार के प्याज़ पर प्रतिबंधित निर्यात मूल्य व 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से करीब 64 रुपए प्रति किलोग्राम से कम भाव पर प्याज निर्यात की अनुमति नहीं होना रेखांकित करने वाली बात है।

साथियों बात अगर हम प्याज खरीदी करने वाली सरकारी एजेंसियों की करें तो, उपभोक्ता मामलों की सचिव ने सामान्य उपलब्धता, स्थिर कीमतों और सर्दियों की फसल से 1.91 लाख टन होने वाले मजबूत उत्पादन का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को मुक्त निर्यात के कारण प्याज की दरें बढ़ने की उम्मीद नहीं है। प्याज की आपूर्ति गर्मी के मौसम में कम हो जाती है। आपूर्ति में कमी के कारण कीमतों में उछाल के बीच सरकार ने दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार की तरफ से नेशनल कॉआपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कॉअपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) जैसी एजेंसियां प्याज खरीदेंगी। सरकार ने एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों से सीधे बफर के लिए प्याज खरीदना शुरू करें। सरकार के निर्देश के अनुसार, खरीद के लिए एनएएफईडी और एनसीसीएफ प्याज किसानों का पूर्व पंजीकरण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रुपये सीधे उनके बैंक खातों में भेजे जाएं।

साथियों बात अगर हम सरकार के द्वारा प्याज पर प्रतिबंधित निर्यात मूल्य 800 डॉलर प्रतिटन की करें तो, सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 800 डॉलर प्रति टन तय कर दिया था। जो एक किलो में यह करीब 64 रुपये प्रति किलो बैठता है, यानी इस कीमत से कम मूल्य पर प्याज का निर्यात नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, सरकार ने पहले से प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा रखा है, जिससे निर्यात लगभग ठप है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सरकार के इस कदम का कीमतों पर फिलहाल बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा और अभी करीब एक महीने तक महंगे प्याज से उपभोक्ताओं का सामना होता रहेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एक बयान में कहा था कि यह फैसला 29 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक प्रभावी था।

साथियों बात अगर हम प्याज पर निर्यात शुल्क 40 प्रतिशत लगाने के कारणों की करें तो, बीते साल जनवरी से मार्च 2023 की अवधि में प्याज का निर्यात असाधारण रूप से उच्च स्तर पर लगभग 8.2 लाख टन रहा है, जबकि इसके पिछले साल इस अवधि में यह 3.8 लाख टन था। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून के देरी से आने के कारण खरीफ की बुआई में देरी हुई थी। यही कारण रहा है कि प्याज समेत अन्य जरूरी सब्जियों की औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले के 25 रुपये की तुलना में बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया था। इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) ने भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से 1.50 लाख टन प्याज की खरीद की थी।

इसके अलावा, प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए सरकार ने पायलट आधार पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की मदद से इसका विकिरण शुरू किया था। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 से 2023-24 के बीच उच्च खपत वाले क्षेत्रों में रबी सीजन की खरीद के कारण प्याज का वार्षिक बफर एक लाख टन से तीन लाख टन तक होगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था, प्याज बफर ने उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मूल्य स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत को प्याज की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति रबी सीजन से प्राप्त होती है, जिसकी कटाई अप्रैल-जून के दौरान होती है और अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जाता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सरकार कर रही है 5 लाख टन प्याज की खरीददारी। सरकार द्वारा प्याज़ निर्यात प्रतिबंध हटाने के साथ 5 लाख़ टन बफर स्टॉक बनाने, बाजार दरों पर प्याज़ खरीदना शुरू। सरकार द्वारा प्याज़ निर्यात पर प्रतिबंधित निर्यात मूल्य व 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से क़रीब 64 रुपया प्रति किलोग्राम से कम भाव पर निर्यात अनुमति नहीं होना रेखांकित करने वाली बात है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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