कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के कई मामले पूरे देश में सुर्खियों में हैं। इसी बीच अब दिव्यांगों के आंकड़े में हेरफेर का आरोप लग रहा है। एक दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिव्यांगों के आंकड़े केंद्र सरकार के साथ साझा नहीं किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। पता चला है कि राज्य सरकार दिव्यांग व्यक्तियों का डेटाबेस तैयार करने के लिए बनाए गए केंद्रीय पोर्टल पर आंकड़े ही नहीं दे रही बल्कि अलग से अपना पोर्टल खोल कर रखी है, जिसका कोई डिटेल केंद्र से शेयर नहीं किया जा रहा।
इसे लेकर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही आरोप लगाया है कि दिव्यांग भत्ते का 70 फीसदी राशि केंद्र सरकार से मिलती है। इसे गबन करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने दिव्यांगों की फर्जी सूची बनाई है, जिसमें अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है और केंद्रीय धन को लूटा जा रहा है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायमूर्ति टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ खंडपीठ में एक मामले की सुनवाई हुई थी विशिष्ट विकलांगता पहचानपत्र (यूडीआईडी) के लिए नामांकन में व्यक्तियों को आने वाली कठिनाइयों से संबंधित था।
अब इस बारे में राज्य सचिवालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने की केंद्र सरकार की पहल है। साल 2017 में एक पोर्टल पेश किया गया था, जिसके जरिए संबंधित व्यक्ति यूडीआईडी के लिए अपना नाम दर्ज करा सकते थे। हालांकि, पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार ने नामांकन उद्देश्यों के लिए अपना एक अलग पोर्टल खोला।
तब से पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर शिकायतें आ रही थीं कि जब भी कोई पोर्टल के माध्यम से यूडीआईडी के लिए अपना नाम दर्ज करने की कोशिश कर रहा था, तो पोर्टल उन्हें पहले से ही नामांकित दिखा रहा था, जिसके बाद कई लोगों को यूडीआईएस प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा।
कोर्ट ने इस बाबत राज्य सरकार द्वारा अपना स्वयं का पोर्टल खोलने के पीछे के औचित्य पर भी सवाल उठाया, क्योंकि इस मामले में एक केंद्रीय पोर्टल है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि राज्य सरकार राज्य के आंकड़ों को केंद्रीय पोर्टल के साथ साझा क्यों नहीं कर रही है। इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
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