राज कुमार गुप्त। हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और गीतकार पद्मभूषण गोपालदास नीरज Gopaldas Neeraj पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया।
नीरज जी सिर्फ कवि ही नहीं हैं बल्कि हिंदी साहित्यकार, शिक्षक और फिल्मो के गीतकार भी थे।
इनका वास्तविक नाम गोपालदास सक्सेना था तथा नीरज इनका कवि नाम था। इनका जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तरप्रदेश के इटावा में हुआ था। इनके पिताजी का नाम ब्रजकिशोर सक्सेना था। नीरज जी तीन भाई थे। जब ये मात्र 6 वर्ष के थे तभी इनके माताजी का निधन हो गया था।
1942 में गोपालदास जी ने एटा जिले के हाई स्कूल से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए थे। परंतु घर की आर्थिक समस्याओं के कारण उन्होंने इटावा के न्यायालय में कुछ समय तक टाइपिस्ट का काम किया। उसके बाद सिनेमा घर में भी लम्बे समय तक काम किया। जिसके बाद वे दिल्ली चले गए, यहाँ उन्होंने सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। इस दौरान उन्होंने प्राइवेट परीक्षा दी और वर्ष 1949 में इन्टरमीडिएट की परीक्षा पास किया।
इसके बाद वर्ष 1951 बी.ए. और वर्ष 1953 एम.ए. हिंदी साहित्य में पूरा किया। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद नीरज जी ने मेरठ के एक कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद पर भी कार्य किया। परंतु यहा पर कक्षा न लेने के आरोप में उन्होंने स्वयं ही त्याग पत्र दे दिया। जिसके बाद उन्होंने अलीगढ के ‘धर्म समाज कॉलेज’ में हिंदी विभाग के लेक्चरर के रूप में भी कार्य किया।
अपने कॉलेज के दिनों से नीरज जी कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ और गीत गाते थे। कवि सम्मेलनों में गीत गायन से वे काफी मशहूर हो गए थे। जिसके बाद उन्हें फिल्म नगरी मुंबई से फिल्म “नई उमर की फसल” के गीत लिखने का आमंत्रण मिला। अपनी पहली ही फिल्म के गीत “कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे” और “देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा” जैसे गानों ने उन्हें पूरे देश में मशहूर कर दिया और वे मुंबई में रहकर ही फिल्मों के लिए गीत लिखने लगे। बाद में नीरज जी मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेकों चर्चित फिल्मों के लिए सुपर हिट गाने लिखे।
उनके गीतों को मुकेश, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मन्ना डे, लता मंगेशकर, आशा भोसले, एस.डी. वर्मन, कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण, कुमार सानू, अलका याग्निक, शंकर महादेवन जैसे बड़े और नामी गिरामी गायकों तथा गायिकाओं ने अपनी आवाज दी है। नीरज जी बाद में मुंबई से उत्तर प्रदेश, अलीगढ लौट आये थे। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था।
Gopaldas Neeraj गोपालदास नीरज जी ने अनेकों पुरस्कार प्राप्त किये थे, इनमें प्रमुख है :
विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार, पद्मश्री सम्मान (1991), यश भारती (1994), पद्मभूषण सम्मान (2007)
कवि गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की आयु में 19 जुलाई 2018 को लम्बी बिमारी के बाद नई दिल्ली में निधन हो गया।