देवी छिन्नमस्ता जयंती आज

वाराणसी। हिन्दू धर्म में देवी छिन्नमस्ता तांत्रिक विद्याओं की साधना की देवी मानी जाती हैं। उनका नाम सामने आते ही एक शीश (सिर) विहीन देवी का दिव्य स्वरुप आंखों के सामने आ जाता है। उनके एक हाथ में उनका अपना ही कटा हुआ शीश है और दूसरे हाथ में खड्ग धारण की हुई हैं। इनको देवी पार्वती का एक रौद्र रूप माना जाता है। वे दस महाविद्याओं की देवियों में एक प्रतिष्ठित शक्ति हैं। इनका एक नाम ‘प्रचण्ड चण्डिका’ भी है।

छिन्नमस्ता जयंती कब है? हिन्दू पंचांग के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता की जयंती प्रत्येक वर्ष वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2024 में यह तिथि 22 मई दिन मंगलवार को पड़ रही है। इस तिथि को देवी छिन्नमस्ता के भक्त और तंत्र-मंत्र के साधक उनकी विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं।

छिन्नमस्ता पूजन का महत्व : छिन्नमस्ता देवी दस महाविद्याओं में छठवीं देवी हैं। देवी छिन्नमस्ता की आराधना तांत्रिक सिद्धियों और विशेष मनोकामनाओं के पूर्ति के लिए किया जाता है। मान्यता के मुताबिक वे सभी प्रकार की चिंताओं का अंत करती हैं। इसलिए वे चिंतपूर्णी देवी भी कहलाती हैं। कोर्ट-कचहरी के मुकदमों से छुटकारा, सरकार में ऊंची पद और प्रतिष्ठा, बिजनेस में प्रसार और मुनाफा, रोग मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य पाने के लिए इनकी पूजा और साधना विशेष तौर पर की जाती है। मान्यता है कि तांत्रिक अनुष्ठानों और विधि-विधान से की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

देवी छिन्नमस्ता की पौराणिक कथा : पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता मां पार्वती के एक उग्र और भीषण रौद्र रूप है। कहते हैं, एक बार देवी पार्वती अपनी दो सहचरियों के साथ काफी देर से स्नान कर रही थी। इस बीच उनकी दोनों सहचरियों को बहुत जोर से भूख लगी, तो उन्होंने पार्वती जी से भोजन मांगा। नहाने और जल क्रीड़ा की धुन में देवी पार्वती ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सहचरियां भूख से व्याकुल हो उठीं, तो उन्होंने पार्वतीजी से कहा कि मां तो अपने बच्चों का पेट भरने के लिए रक्त तक पिला देती है। लेकिन आप हमारी भूख शांत करने कुछ भी नहीं कर रही हैं।

इसलिए मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती : यह बात सुनकर देवी पावती ने क्रोध में आकर खड्ग से अपना शीश (सिर) धड़ से अलग कर दिया। इससे रक्त की तीन धाराएं निकली। देवी पार्वती ने दो धाराओं से दोनों सहचरियों की भूख मिटाई किया और तीसरी धारा से खुद को तृप्त किया। देवी पार्वती के भीषण रूप में भी कल्याण होने से छिन्नमस्ता जयंती मनाई जाती है।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *