दुबई: ‘ग्लोबल साउथ’ के वार्ताकारों ने मंगलवार को कहा कि विकासशील देशों ने यहां चल रहे जलवायु सम्मेलन (COP28) के अति महत्वपूर्ण दस्तावेज ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ के नवीनतम मसौदे की निंदा की और धरती के तापमान को बढ़ाने वाली हरित गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए विभिन्न विकल्पों समेत कई बदलावों की मांग की। ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ मसौदा इस सम्मेलन के आखिरी समझौता दस्तावेज का मुख्य हिस्सा होगा।
उसमें जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का जिक्र नहीं है। हालांकि उसमें कोयले के इस्तेमाल पर सख्त भाषा शामिल की गयी है जो काफी हद तक कोयले पर आश्रित भारत एवं चीन जैसे देशों के लिए परेशानी का सबब होगी। ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ देशों और हितधारकों के लिए यह देखने की एक प्रक्रिया है कि वे पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में कहां प्रगति कर रहे हैं – और कहां नहीं।
दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का 40 फीसद उत्सर्जन कोयले के कारण होता है जबकि शेष के लिए तेल और गैस जिम्मेदार हैं। अपने करीब 70 प्रतिशत विद्युत उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भर भारत का लक्ष्य अगले 16 महीने में कोयला आधारित विद्युत उत्पादन में 17 गीगावाट की वृद्धि करना है। ‘ग्लोबल साउथ’ के एक वार्ताकार ने कहा कि भारत ने खासकर कोयले को निशाना बनाने को लेकर चिंता व्यक्त की है।
तथा अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर उसने मसौदा दस्तावेज के अनुच्छेद 39 की समीक्षा की मांग की है। उसमें धरती के तापमान को बढ़ाने वाली हरित गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के विभिन्न विकल्पों का उल्लेख है। इन वार्ताकार का कहना था कि मंगलवार को नया मसौदा आने की संभावना है। ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है।
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