माता गुरुतरा भूमेः पिता चोच्चत्रं च खात्। भावार्थ- माता पृथ्वी से भारी है पिता आकाश से भी ऊँचा है
माता-पिता सच्चे देवदूत मार्गदर्शक और अभिभावक हैं, इनसे सर्वश्रेष्ठ दुनियां में कोई नहीं है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर करीब-करीब हर दिन किसी न किसी के नाम पर मनाया जाता है, जिसमें उस मनोनीत क्षेत्र रिश्ते या धर्म का रिश्ता प्रगाढ़ होता है। परंतु मेरा मानना है कि सभी दिवस मे सबसे श्रेष्ठ दिन माता पिता दिवस है जिसको सम्मान समर्पण प्रेमभाव के साथ संपूर्ण विश्व में दिनांक 1 जून को मनाया जाता है। भारत में तो माता पिता दिवस को भगवान का दर्जा प्राप्त है। शास्त्रों और संस्कृतियों में मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती हैं। माता पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। परंतु बड़े बुजुर्गों द्वारा कही कहावतें वर्तमान परिपेक्ष में अटूट सटीक सत्य प्रमाणित हो रही है कि, समय का चक्र चलते बदलते रहता है। जहां शास्त्रों, वेदों और भारतीय संस्कृति में माता पिता को सर्वश्रेष्ठ गुरु माना गया है उसके बाद आचार्य को पदवी दी गई है। हर बच्चे के लिए उसके माता-पिता एक देवतुल्य देवदूत हैं। जिन्होंने उसे अपनी आज की सफलताओं के शिखर पर पहुंचाया है। इसलिए अनेक शहरों नगरों स्कूलों में माता-पिता दिवस 1 जून के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और बड़ी संख्या में बच्चे युवक बड़े अपने माता पिता के साथ पहुंच बड़े बुजुर्गों माता-पिता की पूजा अर्चना करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में ही माता-पिता का सम्मान है, इसलिए ही आज हर वक्तव्य में भारतीय संस्कृति सभ्यता से जुड़े रहने का आह्वान किया जाता है।
वर्तमान पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से आधुनिक युवा उसके झांसे में आते जा रहे हैं और परिवार टूटते जा रहे हैं जिसे जागृत करने के लिए हमें माता-पिता दिवस, मातृ दिवस, परिवार दिवस जैसे अनेकों दिवसों का आयोजन हर समाज और पंचायत स्तर पर गंभीरता से करना चाहिए। मेरा मानना है कि यह दिवस वार्षिक नहीं बल्कि मासिक, साप्ताहिक स्तर पर मनाना चाहिए, जिससे आधुनिक युवकों में जागृति आएगी। जिस भव्यता से 1 जून 2024 को माता-पिता दिवस मनाया जा रहा है उसमें भारतीय संस्कृति सभ्यता की गहरी गहराई का आभास हो रहा है। माता-पिता बुजुर्गों का सम्मान देखकर अनेकों की आंखों में खुशियों के आंसू भर आते हैं। बस! यही भारतीय संस्कृति और सभ्यता वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है। हर व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे तो कोई हमारी संस्कृति को आहत नहीं कर सकता। सांस्कृतिक मूल्यों का हनन न हो, इसका सभी को ध्यान रखना होगा। हर वर्ष माता पिता दिवस पर मनाए जानें वाले कार्यक्रम में बुजुर्गो और युवाओं का उत्साह देखते ही बनता है। यह अपने किस्म का एक अनूठा अनुभव होता है। चूंकि हम 1 जून 2024 को माता-पिता दिवस मना रहे हैं इसलिए आज हम इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे माता-पिता सच्चे देवदूत मार्गदर्शक और अभिभावक हैं, इनसे सर्वश्रेष्ठ दुनियां में कोई नहीं है।
साथियों बात अगर हम माता पिता दिवस के महत्व की करें तो, वैश्विक माता-पिता दिवस बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह बच्चों की परवरिश और समाज को आकार देने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है और सम्मानित करता है। यह परिवारों की भलाई के लिए बढ़ावा देने और वकालत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है और अगली पीढ़ी के पोषण में माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्व पर जोर देता है। यह पालन दुनियां भर में माता-पिता के प्यार, बलिदान और समर्पण पर प्रकाश डालता है, जबकि उनकी जिम्मेदारियों की गहरी समझ और प्रशंसा को बढ़ावा देता है। माता-पिता के वैश्विक दिवस का उद्देश्य परिवारों के लिए जागरूकता, समर्थन और सकारात्मक परिवर्तन पैदा करना है, अंततः व्यक्तियों, समुदायों और बड़े पैमाने पर दुनियां की भलाई और विकास में योगदान देना है। वैश्विक माता-पिता दिवस एक विशेष पालन है जो माता पिता को अपने बच्चों के जीवन और समग्र रूप से समाज की भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रत्येक वर्ष 1 जून को मनाया जाता है, यह दिन दुनियां भर में माता-पिता के समर्पण, प्रेम और जिम्मेदारी को सम्मानित करने और सराहना करने के अवसर के रूप में कार्य करता है। यह दिन बच्चों के जीवन को आकार देने और उनके समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्व पर जोर देता है। यह माता-पिता के प्रयासों की सराहना करने और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अवसर के रूप में कार्य करता है। दुनिया भर में इस दिन को ग्लोबल पेरेंट्स भी कहा जाता है। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि हमें इस दिन उन लोगों को स्पेशल फील कराने का मौका मिलता है जिन्होंने हमें जन्म दिया और पाला। माता-पिता के सम्मान में आयोजित है।
साथियों बात अगर हम माता पिता की जिम्मेदारियों समर्पण प्रेम भाव की करें तो, दुनियां में हमारी पहचान हमारे माता-पिता से होती है। वो ही हमें इस संसार में लेकर आते हैं और उन्हीं के नाम से हमें पहचान मिलती है। हम चाहे कितने ही बड़े व्यक्ति क्यों न बन जाएं, जब भी कोई बड़ा दस्तावेज हमारे सामने आएगा, उसमें हमको अपने माता-पिता का नाम जरूर बताना पड़ेगा। आज के समय में हम जो कुछ भी हैं, वो अपने माता-पिता के संस्कार और उनकी दी हुई परवरिश की बदौलत हैं। माता-पिता अपनी संतान के जीवन को संवारने के लिए अपनी पूरी जिंदगी की खुशियों से समझौता कर लेते हैं।ऐसे माता पिता को शुक्रिया कहने का दिन है ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स याने माता पिता के इस प्रेम और त्याग के लिए हम कभी उन्हें शुक्रिया तक नहीं कहते हैं। ग्लोबल डे ऑफ पैरेंट्स माता-पिता को शुक्रिया कहने का दिन है और हम बच्चों को ये अहसास कराने का दिन है कि हमारे बुजुर्ग माता-पिता बोझ नहीं, हमारी जिम्मेदारी हैं। इस जिम्मेदारी को हमें फ़र्ज़ समझकर पूरा करना चाहिए। हर वर्ष माता-पिता के वैश्विक दिवस की हर वर्ष थीम रखी जाती है, इस वर्ष यानि 2024 को वैश्विक अभिभावक दिवस 2024 का आधिकारिक विषय चंचल पेरेंटिंग का वादा है।
साथियों बात अगर हम भगवान से माता-पिता का स्थान ऊंचा होने की करें तो, दुनियां में भगवान व गुरु का स्थान ऊपर है, मगर सबसे ऊपर है माता-पिता का स्थान। उसमें भी मां सर्वोपरि है। वेद ग्रंथों में उल्लिखित के अलावा तमाम उदाहरण हैं, जो मां को सबसे बड़ा बताते हैं। गणेश चरित्र का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने चले जाते हैं। लेकिन गणेश जी माता पिता की परिक्रमा करते हैं। परिणाम गणेश जी विजयी होते हैं। यानी माता पिता का स्थान सर्वोपरि है। शास्त्र की व्याख्या कर कहते हैं कि शास्त्र कहता है कि सबसे बड़ा भगवान, उससे बड़ा गुरु, गुरु से बड़ा पिता तथा पिता से भी बड़ा है मां का स्थान है। रामायण के अध्याय का वर्णन करते कहा गया है कि भगवान श्रीराम सुबह उठकर पहले माता पिता फिर गुरु को माथा नवाते हैं।यानें माता पिता का स्थान सर्वोपरि है।
साथियों बात अगर हम माता पिता ही भगवान के तुल्य होने की करें तो, पदम पुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सद्गुणों से माता-पिता संतुष्ट रहते हैं, उस संतान को प्रतिदिन गंगा-स्नान का फल मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिए सभी प्रकार से माता-पिता का पूजन अर्थात उनकी सेवा करनी चाहिए। वेद, शास्त्रों के अनुसार माता पिता भगवान के तुल्य है उनका सेवा करने का मतलब है भगवान की पूजा करना। इसीलिए मेरे अनुसार माता पिता के सेवा से बढ़ाकर कोई भी पूजा शायद ही हो सकती है।
साथियों बात अगर हम माता पिता दिवस मनाने के इतिहास की करें तो, 1980 के दशक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने परिवार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। 1983 में, आर्थिक और सामाजिक परिषद की सिफारिशों के आधार पर, सामाजिक विकास आयोग ने विकास प्रक्रिया (1983-84) में परिवार की भूमिका पर अपने संकल्प में महासचिव से परिवार की समस्याओं और जरूरतों के साथ-साथ उन जरूरतों को पूरा करने के प्रभावी तरीकों के बारे में निर्णय निर्माताओं और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया। 9 दिसंबर 1989 के अपने संकल्प 44/82 में, महासभा ने 1994 को परिवार के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया; और 1993 के संकल्प 47/237 में, महासभा ने निर्णय लिया कि हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाएगा 2012 में, महासभा ने 1 जून को वैश्विक माता-पिता दिवस के रूप में घोषित किया, जिसे दुनियां भर में माता-पिता के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व माता-पिता (अभिभावक) दिवस 1 जून 2024- माता-पिता का स्थान भगवान से बढ़कर है। माता गुरुतरा भूमेःपिता चोच्चत्रं च खात्। भावार्थ-माता पृथ्वी से भारी है। पिता आकाश से भी ऊँचा है। माता-पिता सच्चे देवदूत मार्गदर्शक और अभिभावक हैं, इनसे सर्वश्रेष्ठ दुनियां में कोई नहीं है।
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