Img 20231015 101515

वैश्विक भूख सूचकांक 2023 जारी – भारत की स्थिति खराब बताया – सरकार ने सूचकांक को खारिज किया

वैश्विक भूख सूचकांक 2023 में भारत की स्थिति पड़ोसियों से भी खराब बताना हास्यप्रद!
वैश्विक सूचकांक में भारत की छवि खराब करने के संभावित प्रयासों को रेखांकित करना समय की मांग – एडवोकेट किशन भावनानीं गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर एक ओर जहां चंद्रयान-3, सूर्ययान, दिल्ली घोषणा पत्र, पी-20 घोषणा पत्र, एशियन गेम्स में 107 मेडल, आज 14 अक्टूबर 2023 को पड़ोसी मुल्क से क्रिकेट में रिकॉर्ड जीत, विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था, विश्व बैंक की सुदृढ अर्थव्यवस्था, महंगाई दर कंट्रोल का वक्तव्य सहित अनेकों ऐसे ताजा उदाहरण हैं, जिसमें भारत की गौरव गाथा को बयान किया गया है। तो दूसरी ओर दिनांक 12 अक्टूबर 2023 को वैश्विक भूख सूचकांक 2023 की रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें भारत की हालत पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल से भी बदत्तर बताई गई है। यानें 125 देश के हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 111 है जो पिछले साल से भी चार पायदान नीचे खिसक गई है। दूसरे शब्दों में श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल की स्थिति भारत से बेहतर बताई गई है जो सुनने में हास्यप्रद लगता है। जिसपर भारत ने इस हंगर रिपोर्ट 2023 को खारिज कर दिया है और भुखमरी मापन के तौर तरीकों पर सवाल खड़े किए हैं।

वैसे भी देखा जाए तो हम टीवी चैनलों पर आए दिन देखते रहते हैं कि पड़ोसी मुल्कों में भूख के हालात कैसे हैं, जो डिलीवरी ट्रक पर से भी बोरियों को मारामारी कर उठाया जाता है, बेतहाशा महंगाई, वैसे ही श्रीलंका की कुछ माह पूर्व की हालत पूरे विश्व ने देखी थी। फ़िर भी भारत को सूचकांक में इनसे भी बहुत कम रैंकिंग पर रखा गया है जो अपने आप में बहुत हास्यास्पद लगना स्वाभाविक है। जबकि अभी कुछ महापूर्व संयुक्त राष्ट्र ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि भारत में पिछले 15 वर्षों में 37.5 करोड लोग गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं और भारतीय नीति आयोग ने कुछ महीने पूर्व कहा था भारत पिछले 5 वर्षों में 13 .5 करोड लोग गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं। चूंकि 125 देश में भारत को 111 वां स्थान मिला है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। वैश्विक सूचकांक में भारत की छवि खराब करने के संभावित प्रयासों को रेखांकित करना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम एक यूरोपीय एनजीओ द्वारा 12 अक्टूबर 2023 को जारी की गई वैश्विक भूख सूचकांक 2023 की करें तो, उसमें भारत की स्थिति और भी खराब हो गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 125 देशों में भारत को 111वां स्थान दिया है। इसमें यह भी बताया गया है कि देश में बच्चों में कुपोषण की दर सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है। 28.7 स्कोर के साथ ग्लोबल हंगर इंडेक्स के प्रकाशकों ने भारत में भूख की स्थिति को गंभीर बताया है। हालांकि, भारत ने वैश्विक भूख सूचकांक 2023 को खारिज किया है। भारत ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा है कि यह देश की छवि खराब करने का प्रयास है। बता दें कि ताजा सूचकांक गुरुवार को जारी किया गया। इससे पहले, साल 2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर था।अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल की स्थिति हमसे बेहतर है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान को 102वां स्थान, बांग्लादेश को 81वां, नेपाल को 69वां और श्रीलंका को 60वां स्थान दिया गया है। इन देशों ने वैश्विर भूख के मामले में भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बच्चों की कमजोरी की दर 18.7 प्रतिशत दुनिया में सबसे ज़्यादा है। यह तीव्र कुपोषण को दर्शाती है। वहीं भारत में अल्पपोषण की दर 16.6 प्रतिशत और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 15 से 24 वर्ष की आयु की महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 58.1 प्रतिशत है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस सूचकांक को खारिज कर दिया है। सरकार ने इसे भुखमरी का एक गलत पैमाना बताया है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि यह भारत की वास्तविक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है। इसमें बहुत सारी खामियां हैं। इस सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन संकेतक दरअसल बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं, अतः ये निश्चित रूप से पूरी आबादी के स्वास्थ्य को नहीं बता सकते हैं।

साथियों बात अगर हम वैश्विक हंगर सूचकांक के बारे में जानने की करें तो, सन 2000 से लगभग हर साल जीएचआई जारी होता है। इस रिपोर्ट में जितना कम स्कोर होता है उस देश का प्रदर्शन उतना बेहतर माना जाता है। कोई देश भूख से जुड़े सतत विकास लक्ष्यों को कितना हासिल कर पा रहा है। इसकी निगरानी करने का साधन वैश्विक भूख सूचकांक है।जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग के लिए किया जाता है। यह किसी देश में भूख के तीन आयामों को देखता है। पहला देश में भोजन की अपर्याप्त उपलब्धता, दूसरा बच्चों की पोषण स्थिति में कमी और तीसरा बाल मृत्यु दर (जो अल्पपोषण के कारण है)। ग्लोबल हंगर इंडेक्स बताता है कि किसी भी देश में भुखमरी की स्थिति क्या है। इस लिस्ट को हर साल कंसर्न वर्ल्डवाइड और वर्ल्ड हंगर हेल्प नामक यूरोपीयन एनजीओ तैयार करते हैं। दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों का आंकलन करने के बाद इंडेक्स को तैयार किया।

साथियों बात अगर हम हर देश का जीएचआई स्कोर को गहराई से जानने की करें तो 3 डायमेंशन के 4 पैमानों पर कैलकुलेट किया जाता है। ये तीन डायमेंशन हैं- अंडररिशमेंट, चाइल्ड मोर्टालिटी, चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन। चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन में दो कैटेगरी हैं- चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिंग।
(1) अंडरनरिशमेंट : अंडरनरिशमेंट यानी एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर के लिए जरूरी कैलोरी नहीं मिलना। आबादी के कुल हिस्से में से उस हिस्से को कैलकुलेट किया जाता है जिन्हें दिनभर की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल रही है।
(2) चाइल्ड मोर्टालिटी : चाइल्ड मोर्टालिटी का मतलब हर एक हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की संख्या जिनकी मौत जन्म के 5 साल की उम्र के भीतर ही हो गई।
(3) चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन : इसमें 2 कैटेगरी आती हैं- चाइल्ड वेस्टिंग : चाइल्ड वेस्टिंग यानी बच्चे का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत दुबला या कमजोर होना। 5 साल से कम उम्र के ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के हिसाब से कम होता है। ये दर्शाता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिला इस वजह से वे कमजोर हो गए।

चाइल्ड स्टंटिंग : चाइल्ड स्टंटिंग का मतलब ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के लिहाज से कम हो। यानी उम्र के हिसाब से बच्चे की हाइट न बढ़ी हो। हाइट का सीधा-सीधा संबंध पोषण से है। जिस समाज में लंबे समय तक बच्चों में पोषण कम होता है वहां बच्चों में स्टंटिंग की परेशानी होती है। इन तीनों आयामों को 100 पॉइंट का स्टैंडर्ड स्कोर दिया जाता है। इस स्कोर में अंडरनरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टलिटी और चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन तीनों का एक-एक तिहाई हिस्सा होता है। स्कोर स्केल पर 0 सबसे अच्छा स्कोर होता है, वहीं 100 सबसे बुरा।

साथियों बात अगर हम रेटिंग तय होने के बारे में जानने की करें तो, ग्लोबल हंगर इंडेक्स तीन स्तरों पर प्रसारित किया जाता है : वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय. रेटिंग की गणना के लिए कुल 100 अंक आवंटित किए जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप स्कोर 0 और 100 के बीच होता है। 2023 की रिपोर्ट में 125 देशों का डेटा शामिल है। कम स्कोर अधिक अनुकूल स्थिति का संकेत देता है, जबकि उच्च स्कोर कम अनुकूल स्थिति का संकेत देता है। 2023 की रिपोर्ट में भारत का स्कोर 28.7 है। उल्लेखनीय है कि भारत इस सूचकांक में कई वर्षों से लगातार पिछड़ रहा है। 2022 में भारत 107वें स्थान पर था और 2021 में 101वें स्थान पर रहे।

साथिया बात अगर हम महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के वक्तव्य की करें तो, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान में दावों का खंडन किया और कहा कि सूचकांक भूख का एक त्रुटिपूर्ण माप बना हुआ है और भारत की वास्तविक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है। दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका सबसे अधिक भूख स्तर वाले क्षेत्र थे। मंत्रालय ने कहा, सूचकांक भूख का एक गलत माप है और गंभीर पद्धतिगत मुद्दों से ग्रस्त है। सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। इसमें कहा गया है, चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक कुपोषित (पीओयू) आबादी का अनुपात’ 3,000 के बहुत छोटे नमूना आकार पर किए गए एक जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है। इस बीच, रिपोर्ट में भारत को दुनिया की सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत बाल कमज़ोरी दर के साथ गिना गया है, जो तीव्र कुपोषण का संकेत देता है।

साथियों बात अगर हम पिछले साल और अब 2023 में सरकार के वक्तव्य की करें तो, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की रिपोर्ट को लेकर भारत सरकार ने कहा था कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क लगता है। भारत को ऐसे देश के रूप में दिखाया जा रहा है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। यह इंडेक्स भुखमरी को गलत तरीके से मापता है। इसमें जो मेथड इस्तेमाल किया जाता है वह भी गंभीर रूप से गलत है। 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बच्चों की कमजोरी की दर 18.7 प्रतिशत दुनिया में सबसे ज्यादा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वैश्विक भूख सूचकांक 2023 ज़ारी – भारत की स्थिति ख़राब बताया – सरकार ने सूचकांक को खारिज़ किया। वैश्विक भूख सूचकांक 2023 में भारत की स्थिति पड़ोसियों से भी खराब बताना हास्यप्रद! वैश्विक सूचकांक में भारत की छवि ख़राब करने के संभावित प्रयासों को रेखांकित करना समय की मांग।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

6 − 4 =