मुंबई। हाल ही में मैंने अपने एक मित्र के बेटे को चाय की थड़ी पर चाय के साथ सिगरेट पीते हुए देखा। मुझे इस पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ, क्यों बदलते माहौल और आधुनिकता की ओर दौड़ते कदमों तले बच्चों का किसी लत का शिकार होना आम बात होती जा रही है। मन में सिर्फ एक विचार आया कि क्या उसके माता-पिता को इस बात की जानकारी है कि हमारा बेटा बालिग होते ही सिगरेट पीने का शौकीन हो गया है। कच्ची उम्र के बच्चे शौकिया तौर पर बुरी लत को अपना लेते हैं लेकिन यही बात में उनकी आदत बन जाती है जो उनकी सेहत और व्यवहार के लिए हानिकारक है। यदि आपका बच्चा भी इस प्रकार की किसी बुरी लत का शिकार है तो यह आपका कर्तव्य है कि आप उसे सही तरीके से इसके नुकसानों को लेकर उसे समझाएँ। आइए डालते हैं एक नजर उन कदमों पर जो उस वक्त आपको उठाने चाहिए—
सवाल-जवाब करना : यदि आपको इस बात की जानकारी मिल गई है कि आपका बच्चा किसी बुरी लत का शिकार हो चुका है तो आप उससे इस बारे में किसी प्रकार कोई सवाल जवाब न करें। कब, क्यूं और कहाँ से शुरू होने वाली बातचीत कई बार घर के माहौल को पूरी तरह से बदल कर रख देती है। कई अध्ययन बताते हैं कि गुस्से में की गई बातचीत आपके बच्चे को एडिक्शन की दुनिया में और भी गहरे धकेल देगी। यह काम विशेषज्ञों पर छोड़ दें क्योंकि यदि स्वयं से आप यह काम करने जाएंगे तो उन्हें लगेगा कि आप उन्हें नहीं समझते हैं और अब वे कोई इतने छोटे नहीं हैं कि बात-बात पर उनसे सवाल- जवाब किया जाता है।
काउंसलिंग : इस बात को समझिए कि बच्चे के लिए समय रहते काउंसलिंग कितनी जरूरी है। इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें। प्रोफेशनल मदद लेना सबसे जरूरी कदम है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है। इस समस्या से निपटने का हल ढूंढऩे के लिए एडिक्शन स्पेशलिस्ट या मनोचिकित्सक से सलाह लें। जितना हो सके उतना एडिक्शन के बारे में पढ़ें और जानें कि यह किस वजह से होता है और कैसे इससे निकला जा सकता है।
संवाद करें : अपने बच्चे की बातें अच्छी तरह सुनें। अक्सर लत की वजह पियर प्रेशर (यह संभवत: शुरुआत करने की वजह हो सकती है) के बजाय आपका बच्चा किस तरह अपने आंतरिक स्थितियों से जूझता है, पर निर्भर करती है। ख़ुद को जांच कर पता करें कि कहीं आप बहुत ज्यादा नियंत्रण रखने वाले अभिभावक तो नहीं। यदि ऐसा है तो अपने टीनएजर बच्चे के साथ घुलने-मिलने की पूरी कोशिश करें।
स्थिति संभालने का उपाय खोजें : बच्चों का पालन-पोषण करना, उन्हें सक्षम बनाना और उनकी रक्षा करना अभिभावकों की आम प्रवृत्ति होती है, लेकिन यदि आप अपने बच्चे के बचाव में हर बार खड़े रहेंगे तो वह जिन्दगी की समस्याओं को समझ नहीं पाएगा। इसके अलावा ट्रीटमेंट के बाद भी वापस लत की ओर लौटना बहुत आम है इसलिए ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं। डॉक्टर से बात कर पता करें कि इस स्थिति को कैसे संभाला जा सकता है।