हिंदुओं की मोक्षनगरी गया और यहाँ का विष्णुपद मंदिर

राजीव कुमार झा : बिहार के प्रमुख नगरों में गया का नाम शामिल है और यह अत्यंत प्राचीन नगर है। इस पवित्र तीर्थस्थल का उल्लेख महाभारत में भी है। फल्गु नदी के किनारे बसा यह शहर सारे संसार में मोक्षनगरी के नाम से प्रसिद्ध है और पितृपक्ष के दौरान यहाँ प्रतिवर्ष हिंदू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण करते हैं और विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

यहाँ का मंगला गौरी मंदिर भी सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ पूजा पाठ के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। गया मगध प्रमंडल का मुख्यालय है।

यहाँ का अनरसा प्रसिद्ध है यह चावल और खोये से बनता है। टेकारी रोड में अनरसे की दुकानें स्थित हैं। यह शिक्षा का भी पुराना केंद्र है और यहाँ कई कालेज है। बोधगया इस नगर से दस किलोमीटर दूर है। यहाँ विश्वप्रसिद्ध महाबोधि मंदिर है। गया जंक्शन देश का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहाँ से मुंबई और हावड़ा के अलावा पुरी और दिल्ली जाने वाली रेलगाड़ियाँ गुजरती है।

यहाँ के विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने कराया था। वह एक धर्मपरायण नारी थीं और यहाँ इस मंदिर के बाहरी परिसर में बिहार सरकार के द्वारा उनकी भी सुंदर आदमकद प्रतिमा स्थापित की गयी है। फल्गु नदी वर्षा ऋतु के अलावा साल के शेष अन्य महीनों में सूखी रहती है। इस नदी के दूसरे तट पर सीता कुड है। गया बिहार का प्रमुख व्यापारिक नगर है और पत्थर की मूर्तियों को बनाने वाले कारीगर भी यहाँ हैं।

गया एक धार्मिक नगर है और यहाँ देश के सभी राजे रजवाड़ों के बनवायी धर्मशालाएँ मंदिर मठ स्थित है। यहाँ संबंधित क्षेत्रों से आने वाले लोग ठहरते हैं। कोरोना की वजह से पिछले साल बिहार सरकार ने पितृपक्ष का मेला स्थगित कर दिया था। पितृपक्ष में यहाँ लाखों लोग आते हैं।

गया शहर का बाहरी क्षेत्र धान के सुंदर हरे भरे खेतों से घिरा है और अब रेल मंत्रालय गया – लखीसराय रेलपथ के दोहरे रेलपथ के निर्माण के कार्य को भी पूरा करने पर ध्यान दे रही है। इस शहर में कई पुराने तालाब हैं और छोटे-बड़े सैकड़ों मठ मंदिरों में निरंतर होते रहने वाले पूजा पाठ से यहाँ का माहौल भक्तिमय बना रहता है। जी.बी. रोड और टावर चौक के पास की गलियों में स्थित यहाँ का बाजार सुंदर और समृद्ध है। नवादा, जहानाबाद और डेहरी आन सोन इसके पड़ोसी नगर हैं।

यहाँ के सराय रोड में कुछ चकलाघरों के अलावा नाचने गाने वाली वेश्याओं के कोठे भी है। सरकार द्वारा इनके पुनर्वास का काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार के द्वारा गया शहर से बाहर पंचानपुर में साऊथ बिहार सेंट्ल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी है।

यहाँ सेना की छावनी भी है। यहाँ बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए स्टेशन रोड में विभिन्न प्रकार के होटल हैं। चाँद चौरा यहाँ का प्रमुख चौराहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के काल में गया में कांग्रेस का अधिवेशन भी हुआ था। यहाँ बिहार सरकार के द्वारा इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेज की स्थापना भी की गयी है। विष्णुपद मंदिर काले ग्रेनाइट से बना सुंदर मंदिर है और पंडे पुरोहित बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों की पूजा यहाँ संपन्न कराते हैं। गैर हिंदुओं का प्रवेश इस मंदिर में निषिद्ध है।

अब गया के हवाई अड्डे से देश के कुछ नगरों और बौद्ध देशों के लिए विमानन की व्यवस्था भी हो गयी है। यह एक शांतिप्रिय नगर है और यहाँ के लोग अच्छे मिलनसार और ईमानदार हैं।

ग्रीष्म ऋतु में यहाँ काफी गरमी पड़ती है और जाड़े के मौसम में यहाँ खूब ठंड रहती है।
गया में श्रृंगेरी के शंकराचार्य का मठ भी है और भारत सेवाश्रम संघ का केंद्र भी यहाँ है।

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