आशा विनय सिंह बैस की कलम से : विश्व पर्यावरण दिवस

नई दिल्ली। यह कहना मुश्किल कि पीपल के इस बड़े से पेड़ के पास मेरा फ्लैट है या मेरे फ्लैट के पास यह पीपल का पेड़ है। नजदीकी इतनी कि खिड़की खोलते ही इसकी कोमल टहनियां गाल चूमने को दौड़ती हैं। पूरी खिड़की खोल दो तो ये नाजुक टहनियां कमरे के अंदर बिन बुलाए मेहमान की तरह घुसने लगती हैं। हरी- कोमल पत्तियां तो इतना भी लिहाज नहीं करती। वे कई बार खिड़की की दीवार को लांघकर और कांच की परत को भेदकर कमरे के अंदर तक आ ही जाती हैं।

पीपल के वृक्ष की महिमा का गुणगान सदियों से हमारे शास्त्रों में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि पीपल ही एक ऐसा वृक्ष है जिसमें सभी देवता एक साथ निवास करते हैं :-
“मुले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकर एव च
पत्रे पत्रे च देवानां, वृक्षराज नमोस्तुते।”
अर्थात – पीपल की जड़ में भगवान ब्रह्मा का, छाल में भगवान विष्णु का, शाखाओं में भगवान शंकर का तथा पीपल की पत्तियों में अन्य सभी देवताओं का वास होता है। ऐसे वृक्षराज को नमन।

सनातन धर्म में तुलसी, पीपल, बरगद, नीम, कदम्ब के पेड़ को विशेष स्थान प्राप्त है-
“तुलसी, पीपल, बरगद, नीम, कदम्ब
सदा सत्य सनातन के अक्षय स्तंभ!’
इन सबमें पीपल को सर्वदा ही पवित्र और पूज्य माना गया है लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इस प्राणदायी वृक्ष की महत्ता एक बार पुनः स्थापित हुई है। अभी पिछले वर्षों जब देश भर में कोरोना संक्रमित गंभीर रोगी ऑक्सीजन के लिए तरस और तड़प रहे थे तथा मानवता के दुश्मनों द्वारा ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी और जमाखोरी की जा रही थी तब वर्ष के 365 दिन और दिन के 24 घंटे (जिनमें CAM होता है) निःशुल्क ऑक्सीजन देने वाले इस निष्काम पीपल वृक्ष के प्रति मेरी श्रद्धा बरबस ही बढ़ गई है। अपने निजी अनुभव से कहूं तो पीपल के इस वृक्ष ने मुझे बड़ा संबल और सकारात्मकता दी है।
#विश्वपर्यावरणदिवस

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

(आशा विनय सिंह बैस)
जिनका पीपल के पास फ्लैट है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen − 1 =