आशा विनय सिंह बैस की कलम से : 90 के दशक की शादियां

रायबरेली। 90 के दशक तक शादियों में मुख्य रूप से चार संस्कार हुआ करते थे।
1. बरदेखी – लड़के को देखना (लड़की बहुत कम लोग ही देखते थे या नहीं देखते थे। जाति, कुल, गोत्र सही हो, परिवार ठीक हो, दहेज खूब मिले, बस यही पर्याप्त था।
उसके बाद :
2. बरीक्षा (वर इच्छा) या रोका
तत्पश्चात
3. फलदान या तिलकोत्सव
और अंत में
4. शुभ विवाह, शादी, पाणिग्रहण।

नोट– ध्यान देने की बात यह है कि इन चार संस्कारों में सिर्फ विवाह के समय लड़की (वधू) की उपस्थिति अनिवार्य होती थी।

2023 आते-आते शादियों के मुख्य संस्कार इस प्रकार होने लगे हैं-
1. लड़की देखना
2. गोद भराई
3. हल्दी और लेडीज संगीत
4. मेहंदी और लेडीज संगीत
5. शादी, विवाह, पाणिग्रहण

नोट– ध्यान देने की बात यह है कि इन पांच संस्कारों में सिर्फ विवाह के अलावा लड़के (वर) की उपस्थिति कहीं भी अनिवार्य नहीं है। मेरा देश बदल रहा है!

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

(आशा विनय सिंह बैस)
90 के दशक में जिनका पाणिग्रहण हुआ।

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