फिल्म ‘बॉबी’ में ऋषि कपूर कैसे हीरो बने आज का किस्सा इसी बात को लेकर है। किस्सा कुछ यूं है कि ‘बॉबी’ में ऋषि कपूर के हीरो बनने की वजह थी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’। यह जान आपको जरा आश्चर्य तो हो ही रहा होगा। खैर। चलिए तफ़सील से बताता हूं। जी हां, जब राज कपूर की अति महत्वांकांक्षी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) बुरी तरह असफल हो गई तो राज कपूर गंभीर आर्थिक तंगी में फंस गए।
बहुत सारा पैसा उनका डूब गया और काफी कर्ज भी उन पर हो गया। इन सबसे उबरने के लिए उन्हें एक सफल फिल्म बनाने की आवश्यकता थी। फिल्म जगत के चालू बोली में बोले तो उन्हें एक हिट फिल्म की बेहद जरूरत थी, जिससे वे अपनी नाज़ुक स्थिति से उबर सके। फिल्म की कहानी ख्वाजा अहमद अब्बास से मिल गई थी। नई फिल्म की हिरोइन के लिए डिंपल भी मिल गई और फिल्म में बतौर हीरो वे उन दिनों के सुपर स्टार राजेश खन्ना को लेना चाहते थे। पर उनके पास उन्हें देने के लिए उतने पैसे नहीं थे जिससे वे राजेश खन्ना को साइन कर सके।
इसलिए उन्होंने अपने बेटे ऋषि कपूर को ‘बॉबी’ का हीरो बनाना तय किया। इस बात का खुलासा खुद ऋषि कपूर ने भी एक टीवी कार्यक्रम में किया है। फिल्म जबरदस्त हिट रही। और राजकपूर अपने मकसद में कामयाब हो गए। दूसरी ओर पहली ही फिल्म से ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़िया स्टार का दर्जा पा गए। वैसे ऋषि कपूर बतौर बाल कलाकार फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में पर्दे पर आ चुके थे।
‘बॉबी’ ही वह फिल्म है जिसमें पहली बार राज कपूर की फिल्म में शंकर जयकिशन का संगीत नहीं था। इस फिल्म में संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को संगीत का जिम्मा दिया गया। जबकि गीत लिखने का भार आनंद बख़्शी को दिया गया। गायक शैलेन्द्र सिंह को ऋषि कपूर के लिए गाना गाने का मौका मिला।
उनकी आवाज़ इतनी अच्छी जमी कि आने वाली कई फिल्मों में ऋषि कपूर ने उनकी ही आवाज को इस्तेमाल किया। माता की भेंटे गाने वाले गायक नरेंद्र चंचल ने भी पहली बार फिल्म के लिए प्लेबैक दिया। उनका गाया ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो …..’ भी उतना ही लोकप्रिय हुआ जितना फिल्म के दूसरे गाने हुए।
आशा करता ह़ं ‘बॉबी’ से जुड़े सुने-अनसुने किस्से को जानकर अच्छा लगा होगा। अब विदा लेता हूं। आप सब व्यस्त रहें, मस्त रहें और स्वस्थ रहें। चलता हूं …..।