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एफपीसीई ने पश्चिम बंगाल में रेरा प्राधिकरण के गठन की ममता से की गुजारिश

कोलकाता। घर खरीदारों की शीर्ष संस्था एफपीसीई ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्य में रियल एस्टेट कानून रेरा को एक महीने के भीतर प्रभावी बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया है।  एफपीसीई ने पश्चिम बंगाल में रेरा के अभी भी क्रियाशील नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस राज्य में घर खरीदारों को बिल्डरों के भरोसे छोड़ दिया गया है। एफपीसीई के अध्यक्ष और रेरा प्राधिकरण की केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य अभय उपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) के कार्यान्वयन के लिए एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने का इंतजार काफी लंबा हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मई में पश्चिम बंगाल आवास उद्योग नियामकीय कानून (डब्ल्यूबीएचआईआरए) को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए रद्द कर दिया था।

पश्चिम बंगाल ने रेरा के स्थान पर यह कानून बनाया था। एफपीसीई की याचिका पर ही उच्चतम न्यायालय ने डब्ल्यूबीएचआईआरए को रद्द किया था। उपाध्याय ने कहा, “हमें आपको यह बताते हुए खेद है कि ‘पश्चिम बंगाल रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण’ और ‘पश्चिम बंगाल रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण’ अभी भी राज्य में काम नहीं कर रहे हैं।” पत्र के मुताबिक, अपने नए सपनों का घर खरीदने की मंशा रखने वाले भावी घर खरीदार बिल्डरों के खोखले वादों पर भरोसा करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि वे परियोजनाओं के विवरण की जांच करने में असमर्थ हैं

क्योंकि पश्चिम बंगाल की रेरा वेबसाइट अभी चालू नहीं है। एफपीसीई अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री राज्य और इसके सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में इसकी अपील पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगी। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘कार्यान्वयन प्रगति रिपोर्ट’ के अनुसार, नागालैंड को छोड़कर सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों ने रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है लेकिन उसने अभी तक रेरा प्राधिकरण का गठन नहीं किया है।

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