हैदराबाद । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को मुफ्त उपहारों के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाने के लिए एक ‘श्वेतपत्र’ लाना चाहिए।
इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए कि इस संबंध में राजनीतिक दलों पर कैसे रोक लगाई जाए।
सुब्बाराव ने कहा कि जनता को इन मुफ्त उपहारों की लागत और फायदों के बारे में ज्यादा जागरूक किया जाना चाहिए तथा इस पर जनता को शिक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार की है।
उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इस पर राजनीतिक आम सहमति बनानी होगी। केंद्र सरकार तथा प्रधानमंत्री को नेतृत्व करना चाहिए। मुझे लगता है कि उन्हें एक श्वेतपत्र लाना चाहिए और इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए।”
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा, ”लोगों को इन मुफ्त उपहारों के गुण और दोष पर शिक्षित करिए।”
उन्होंने कहा कि भारत जैसे गरीब देश में यह सरकार का कर्तव्य है कि वह समाज के सबसे कमजोर वर्गों को कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराए और यह आत्मावलोकन भी करे कि वित्तीय बाधाओं को देखते हुए इन सुविधाओं का कितना विस्तार किया जा सकता है।
सुब्बाराव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए तब तक लगातार 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ”अगले 25 साल तक हर साल 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर को बनाए रखना, कुछ देशों ने ऐसा किया है, चीन ने यह किया है लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक, वैश्वीकरण जैसी चुनौतियों के कारण क्या हम यह कर सकते हैं। यह कहना मुश्किल है।”
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