Supreme Court reprimanded former Bengal minister Partha Chatterjee

बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

  • मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत मंजूर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी है। इस फैसले से उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह शीतकालीन अवकाश शुरू होने से पहले या 31 दिसंबर 2024 तक आरोप तय करने के मुद्दे पर निर्णय ले।

यह मामला पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने पिछली सुनवाई में दलील दी थी कि उनके मुवक्किल दो साल दो महीने से जेल में हैं और अब उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।

अदालत ने उनकी दलीलों को स्वीकार करते हुए जमानत की मंजूरी दी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पार्थ चटर्जी को 1 फरवरी 2025 को रिहा किया जाएगा। हालांकि, यदि आरोप तय करने और गवाहों की जांच पहले पूरी हो जाती है, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जा सकता है।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि रिहाई के बाद चटर्जी को किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा, लेकिन वे विधानसभा के सदस्य बने रह सकते हैं। यह निर्देश केवल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले के लिए लागू होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को यह भी कहा है कि वह गवाहों की जांच और आरोप तय करने की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करे। अदालत ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता आरोप तय करने के फैसले (यदि प्रतिकूल हो) को चुनौती देने के अपने अधिकार का उपयोग कर सके।

टीएमसी ने चटर्जी को पदों से हटाया था

पार्थ चटर्जी को जुलाई 2022 में कथित भर्ती घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद, ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया और टीएमसी ने उन्हें महासचिव सहित पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया। इस मामले में ईडी ने आरोप पत्र दायर कर दिया है, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं।

भविष्य में सार्वजनिक पद से दूर रहेंगे चटर्जी

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पार्थ चटर्जी को किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, वे विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि वे ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में पूर्ण सहयोग करें। पार्थ चटर्जी पर आरोप है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं को अंजाम दिया। इस मामले में बड़ी मात्रा में नकदी और संपत्ति की बरामदगी हुई थी, जिसे ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़ा।

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