लोकपर्व : सामा चकेबा

हावड़ा। कार्तिक चर्तुदशी के पावन तिथि पर कोलकाता एवं हावड़ा के सखी बहिनपा मैथिलानी समूह ने बड़े ही धूम धाम के साथ सामा चकेवा का लोक पर्व मनाया। इस पर्व के द्वारा हर बहन अपने भाई की सुख समृद्धि के लिए मंगल कामना करती है तथा भाई अपनी बहन की रक्षा का बचन देता है।

भाई बहन के प्रेम का त्योहार सामा चकेवा मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व है। पर्यावरण, पशु-पक्षी और भाई-बहन के स्नेह संबंधों को गहरा का प्रतीक है। भाई और बहन का त्योहार सात दिनों तक चलता है। इस सामा चकेवा त्योहार की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा की रात तक चलता है।

बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को महिलाएं सामा चकेवा बनाती हैं। इस पर्व को मनाने के दौरान महिलाएं लोक गीत गाती हैं और अपने भाई के मंगल कामना के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। गांव में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

भूलते और खोते जा रहे अपनी विरासत में मिली संस्कृति को बचाने एवं उपेक्षित मिथिला की भाषा, खान पान, रीति-रिवाज, आचार विचार आदि गौरव पूर्ण धरोहर के रक्षण-पोषण हेतु संकल्पित एक सखी बहिनपा समूह है जो स्वतः ही निश्वार्थ भाव सँ माँ मैथिली सँ संबंधित हरेक विधा को हृदय सँ लगाकर उसके पुनरुत्थान के लिए लालायित एवं अग्रसर रहती है। इस समूह की अध्यक्ष आरती झा के नेतृत्व में सखी बहिनपा मैथिलानी समूह दिन दुना रात चौगुना अपने लक्ष्य के लिए प्रयत्नशील है।

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