कोलकाता। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति और खराब होने की आशंका है, क्योंकि दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने सात घंटे के भीतर अपने पंचेत और मैथन बांधों से तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार रात कहा था कि पड़ोसी राज्य झारखंड के बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के कम से कम सात जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका है।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि डीवीसी उनकी सरकार को सूचित किये बिना पानी छोड़ रहा है। डीवीसी अधिकारियों ने बताया कि सोमवार रात 11.30 बजे से मंगलवार सुबह 6.54 बजे तक 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
उन्होंने बताया कि सोमवार रात को शुरू में 90,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, लेकिन ऊपर की ओर पानी का प्रवाह अधिक रहने के कारण मंगलवार सुबह 6.54 बजे तक अतिरिक्त 2.1 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण बीरभूम, बांकुरा, हावड़ा, हुगली, पूर्व बर्धमान और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना जिलों के कुछ हिस्सों में पहले से ही बाढ़ आ गई है और नदियों का जलस्तर पहले ही पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा, “मैंने झारखंड के मुख्यमंत्री को तीन बार फोन करके पानी छोड़े जाने पर नियंत्रण करने का आग्रह किया है। जल स्तर तेजी से बढ़ने के बाद हुगली में कुछ लोग फंस गए हैं और प्रशासन को बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।”
पश्चिम बंगाल के कई जिलों में दो दिनों तक लगातार बारिश के बाद, भारी बारिश का कारण बना गहरा दबाव क्षेत्र झारखंड की ओर बढ़ गया है, जिससे पड़ोसी राज्य में भारी बारिश हो रही है।
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि गहरे दबाव के कारण हुई भारी बारिश के कारण दक्षिणी पश्चिम बंगाल के जिलों के कई निचले इलाकों में जलमग्न हो गया है। उन्होंने बताया कि पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सिलाबती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
टीएमसी सांसद और अभिनेता दीपक अधिकारी ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटाल और केशपुर इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति का जायजा लिया।
घाटल उपमंडल अधिकारी सुमन विश्वास ने कहा कि प्रशासन ने राहत सामग्री का भण्डारण कर लिया है और यदि आवश्यक हो तो शिविर लगाने की तैयारी कर ली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चंद्रकोना ब्लॉक 1 में धान और जूट की खेती करने वाले किसानों को बढ़ते जलस्तर के कारण भारी नुकसान हो सकता है।
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