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- सरकार के खिलाफ बढ़ रही नाराजगी
कोलकाता (न्यूज़ एशिया) : राज्य का बजट पारित हो चुका है, लेकिन ‘समुद्र साथी परियोजना’ अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। मछुआरा संगठनों का आरोप है कि राज्य ने सीमांत मछुआरों के साथ धोखा किया है।
गौरतलब है राज्य सरकार ने इस वर्ष से समुद्री मछुआरों के लिए ‘समुद्र साथी’ परियोजना शुरू की है। परियोजना के लिए बजट भी पारित हो गई है, पर वास्तविकता में यह अभी तक प्रकाश में नहीं आया है।
हर साल 15 अप्रैल से 14 जून तक समुद्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध रहता है। इस समय को ‘प्रतिबंध अवधि’ कहा जाता है। राज्य सरकार समुद्री मछुआरों की सहायता के लिए ‘समुद्र साथी’ की योजना बना रही है।
समुद्र में मछली पकड़ना दो महीने तक बंद रहेगा। इस दौरान राज्य सरकार प्रत्येक मछुआरा परिवार को 5,000 रुपये प्रति माह प्रदान करेगी।
‘प्रतिबंध अवधि’ समाप्त होने और नया मछली पकड़ने का मौसम शुरू होने के बाद भी ऋण का दावा नहीं किया जाता। जिला मत्स्य विभाग के अनुसार, इस वर्ष 22,379 मछुआरों ने समुद्र साथी की सेवाओं के लिए आवेदन किया था।
हालाँकि, प्राप्तकर्ताओं के नामों में कुछ त्रुटियाँ हैं। विभाग ने यह भी बताया कि 20,130 लोगों को नाविक लाइसेंस प्रदान किये गये हैं।
भले ही 8 फरवरी, 2020 को राज्य के बजट में इसकी घोषणा की गई थी, पर अब तक मछुआरों को इसका लाभ नहीं मिल पाया।
मछुआरों के संगठन द्वारा दायर आरटीआई में कहा गया है, “घोषणा तो हो गई है, लेकिन वित्त विभाग ने अभी तक इस परियोजना के लिए धन आवंटित नहीं किया है।” मछुआरों का कहना है कि राज्य सीमांत मछुआरों के साथ धोखा कर रहा है।
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