वाराणसी। पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए। हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिस तिथि के जो देवता बताये गये हैं उन देवताओं की पूजा उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं। पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है, श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी तिथि की शुरुआत 08 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद यानी 09 अगस्त को सुबह 12 बजकर 37 मिनट शुरू हो जाएगी। फिर इस तिथि का समापन 10 अगस्त को सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर होगा।
सूर्योदय व्यापिनी श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 09 अगस्त शुक्रवार को है। इसलिए नाग पंचमी का पर्व इस वर्ष सन् 2024 ई. शुक्रवार 09 अगस्त को मनाया जाएगा। नाग पंचमी पर्व को लेकर मतभेद है जैसे राजस्थान एवं बंगाल में श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को यह पर्व मनाते हैं और उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को और जम्मू (डुग्गर प्रदेश) में कुछ लोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाते है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग होने के कारण आप पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा अर्चना व्रत कर सकते हैं ज्यादातर लोग श्रावण शुक्ल की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाते हैं।
नाग पंचमी का त्यौहार हमें यह बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्यों कि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी उत्तरदायी हैं, किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। सभी सांप भी हमारे समाज का अभिन्न अंग है। इसीलिए इंसानों को नागों की रक्षा करनी चाहिए और इन्हें अकारण सताना नहीं चाहिए।
अगर घर में नाग देवता की प्रतिमा है तो ठीक है नहीं तो शुद्ध मिट्टी के नाग बनाकर पूजन करें अथवा इस दिन नाग देवता की बाम्बी (वर्मी) में श्री फल, दूध, मीठा रोट, फूल, फूल माला चढ़ाई याति हैं.‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं।
नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है। इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते है और परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है। इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं। इसके बाद पूजा के लिए घर की एक दीवार पर गेरू, जोकि एक विशेष मिट्टी है, उससे लेप कर यह हिस्सा शुद्ध किया जाता हैं।
यह दीवार कई लोगों के घर की प्रवेश द्वार होती हैं तो कई के रसोई घर की दीवार। इस छोटे से भाग पर कोयले एवं घी से बने काजल की तरह के लेप से एक चौकोर डिब्बा बनाया जाता हैं, इस डिब्बे के अन्दर छोटे छोटे सर्प बनाये जाते हैं। इस तरह की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती हैं। कई परिवारों में यह सर्प की आकृति कागज पर बनाई जाती हैं कई परिवार घर के द्वार पर चन्दन से सर्प की आकृति बनाते हैं एवं पूजा करते हैं, फिर ब्राम्हणो को भोजन करवाते हैं एवं जरूरतमंद लोगो को दान करें।
पंचमी के दिन भूमि को नहीं खोदना चाहिए, अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन नागदेवता की विशेष पूजा कर लाभ पाया जा सकता है। अगर आपको सर्प से डर लगता है, संतान प्राप्ति के लिए, व्यक्ति से सर्प की हत्या हो गई हो या सांप सपने में दिखाई देते हो तो हैं तो इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना करें। इस दिन नाग नागिन के जोड़े को जंगल मे सपेरों से मुक्त कराएं एवं गायों को चारा डाले एवं व्रत रखे ‘ॐ नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें।
नाग पंचमी पर नाग पूजन मंत्र :-
मंत्र ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
नाग-पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिय-मर्दन लीला हुई थी और नागों को ब्रह्माजी द्वारा पंचमी के दिन वरदान दिए जाने व पंचमी के दिन ही आस्तीक मुनि द्वारा नागों की रक्षा किए जाने के कारण पंचमी-तिथि नागों को समर्पित है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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