नई दिल्ली। इस साल पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूर्वी राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी है। भाजपा की बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने राज्य में पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए अपनी रणनीति साझा की। इसके अलावा घोष ने अन्य मुद्दों के अलावा पार्टी के कुछ सदस्यों के तृणमूल कांग्रेस के डर की वजह से भाजपा से वापस लौटने को लेकर भी टिप्पणी की।
उन्होंने बताया कि पार्टी में सभी ने कड़ी मेहनत की और यह सच है कि परिणाम हमारी उम्मीदों से मेल नहीं खा रहे हैं। जमीन पर हमारे कार्यकतार्ओं ने केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की और हम राज्य में मुख्य विपक्षी दल बन गए हैं। पिछले छह-सात सालों से हमने पश्चिम बंगाल में पैठ बनाने के लिए एक खास तरीके से काम किया है।
लोगों ने अब हमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कुशासन के खिलाफ लड़ने के लिए पश्चिम बंगाल में मुख्य और एकमात्र विपक्षी दल के रूप में स्वीकार कर लिया है। अब चूंकि हमारी भूमिका बदल गई है, हम लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उसी के अनुसार अपनी रणनीति बना रहे हैं।
हमारी रणनीति लोगों द्वारा हमें सौंपी गई नई भूमिका पर आधारित होगी और भाजपा अपनी आवाज उठाती रहेगी। हम अपनी योजना पर काम कर रहे हैं और विधानसभा चुनाव परिणामों की समीक्षा के बाद इसे कुछ समय में अंतिम रूप दिया जाएगा।
हम परिणामों के पीछे के सभी कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। हम व्यक्तियों की भूमिका, हार के कारणों, संगठन की भूमिका के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में हमारे साथ जुड़ने वाले नए नेताओं के योगदान की समीक्षा कर रहे हैं। समीक्षा के आधार पर हम भविष्य के लिए अपनी नई योजना बनाएंगे और संगठन में बदलाव भी करेंगे। आने वाले महीनों में बदलाव नजर आएंगे।
हम राज्य इकाई में ऊपर से नीचे तक बदलाव कर रहे हैं। जमीन पर प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही शीर्ष स्तर पर इसे पूरा कर लिया जाएगा। पुराने संवर्गों को सांगठनिक उत्तरदायित्वों में प्रमुखता दी जाएगी जबकि योग्य नए सदस्यों को तदनुसार समायोजित किया जाएगा।