Farmer leader Jagjit Dallewal's health deteriorated

किसान नेता जगजीत दल्लेवाल की तबियत बिगड़ी

  • किसान मोर्चा ने दी केंद्र सरकार को चेतावनी

चंडीगढ़। खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता की तबीयत बिगड़ रही है. खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत बेहद गंभीर हो गई है। पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे दल्लेवाल का सोमवार रात बीपी गिरकर 77/45 हो गया था और पल्स रेट 38 से नीचे आ गई थी।

डॉक्टरों की सख्त निगरानी के बाद उनकी हालत थोड़ी स्थिर हुई, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। मंगलवार को सरकारी राजिंदरा अस्पताल की मेडिकल टीम ने दल्लेवाल के स्वास्थ्य की जांच की। डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि अगर उन्हें जल्द इलाज नहीं दिया गया तो उनकी हालत और बिगड़ सकती है

किसान मोर्चा का केंद्र को कड़ा संदेश

किसान मोर्चा नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, अगर दल्लेवाल को कुछ हुआ तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। अब समय आ गया है कि सरकार हमारी बात गंभीरता से सुने और हमारी मांगों को पूरा करे। कोहाड़ ने सरकार को चेताया कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन और हिंसक हो सकता है।

26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान

इस संकट के बीच किसानों ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को किसान संगठनों ने 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब किसान नेता दल्लेवाल भूख हड़ताल पर हैं। किसानों का कहना है कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह मार्च जरूरी है।पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुख्य मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी दी जाए। किसानों का मानना ​​है कि यह गारंटी उनके भविष्य को सुरक्षित करेगी और बिचौलियों से उनकी रक्षा करेगी।

क्या हैं किसानों की मुख्य मांगें?

अपनी मांगों को लेकर किसानों ने स्पष्ट रुख अपनाया है। मुख्य मांगें हैं :

  • 1. एमएसपी की कानूनी गारंटी : फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी।
  • 2. कर्ज माफी : छोटे और मझोले किसानों के कृषि कर्ज माफ किए जाएं।
  • 3. कृषि कानूनों पर पुनर्विचार : पहले वापस लिए गए कृषि कानूनों से जुड़े मुद्दों को स्पष्ट किया जाए।
  • 4. पेंशन योजना : छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों के लिए पेंशन की व्यवस्था।

सरकार पर बढ़ रहा दबाव

किसानों का कहना है कि सरकार उनके मुद्दों को टालने की कोशिश कर रही है। भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के बावजूद अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। इस बीच दल्लेवाल की बिगड़ती हालत ने किसानों का गुस्सा और बढ़ा दिया है।

सरकार की चुप्पी से किसान नाराज

केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है। किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।

जगजीत दल्लेवाल की बिगड़ती हालत और किसान आंदोलन का उग्र होना सरकार के लिए चेतावनी के संकेत हैं। किसानों की मांगें न केवल उनके अधिकारों को लेकर हैं बल्कि कृषि क्षेत्र की स्थिरता और देश की खाद्य सुरक्षा से भी जुड़ी हैं।

समय आ गया है कि सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत का रास्ता निकाला जाए ताकि समस्या का समाधान हो सके। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला तो देशभर में किसान आंदोलन का दायरा और बढ़ सकता है।

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