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विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शर्मा को साहित्य विभूषण सम्मान से नई दिल्ली में सम्पन्न राष्ट्रीय सम्मान अलंकरण समारोह में विभूषित किया गया
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित राष्ट्रीय सम्मान अलंकरण समारोह में प्रसिद्ध समालोचक, लोक मनीषी एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष और कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को साहित्य विभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन द्वारा आयोजित अवार्ड अलंकरण समारोह में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को विख्यात कथाकार चित्रा मुद्गल, नई दिल्ली ने प्रशस्ति अलंकरण, शॉल, स्मृति चिह्न एवं साहित्य अर्पित कर उन्हें साहित्य विभूषण सम्मान से अलंकृत किया।
प्रो. शर्मा को यह सम्मान बहुमुखी प्रतिभा, समीक्षा एवं शोध के क्षेत्र में आजीवन अतुलनीय योगदान के लिए अर्पित किया गया है। नई दिल्ली में शनिवार, एक मार्च को हुए इस अलंकरण समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व जस्टिस एस.एन. श्रीवास्तव, पद्मश्री सी.पी. देवल, अजमेर, वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रो. प्रेम जनमेजय, नई दिल्ली, असम के कैबिनेट मंत्री उर्खाव ग्वारा ब्रह्म, प्रकाश मनु, डॉ. सुशील त्रिवेदी, रायपुर थे।
आयोजन के संस्थापक, संयोजक वरिष्ठ लेखक डॉ. संजीव कुमार एवं डॉ. मनोरमा, नई दिल्ली ने समारोह की संकल्पना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी में साहित्य एवं रचनाकर्म को समृद्ध करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष साहित्यकारों एवं संस्कृति कर्मियों को सम्मानित किया जाता है। विगत वर्षों में यह सम्मान वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल, ममता कालिया आदि को दिया जा चुका है।
समारोह में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को इस वर्ष के साहित्य विभूषण सम्मान – शिव प्यारी देवी अवस्थी सम्मान से अलंकृत किया गया। प्रशस्ति वाचन साहित्यकार रणविजय राव एवं पूनम माटिया, नई दिल्ली ने किया। कार्यक्रम में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं डॉ. मोहन बैरागी के सम्पादन में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका अक्षरवार्ता के विशेषांक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। प्रो. शर्मा उद्घाटन के बाद सम्पन्न दूसरे अकादमिक सत्र के विशेष अतिथि थे।
प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा साहित्य एवं कला समीक्षा, संस्कृति, भाषा, लिपि, उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं। बहुआयामी लेखन में पिछले साढ़े तीन दशकों से निरंतर सक्रिय प्रो शर्मा ने साहित्य, भाषा, संस्कृति, उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया है।
उनके प्रमुख ग्रंथों में शब्दशक्ति सम्बन्धी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा तथा हिन्दी काव्यशास्त्र, हिंदी कथा साहित्य, देवनागरी विमर्श, मालवा का लोकनाट्य माच और अन्य विधाएं, हिंदी- भीली अध्येता कोश, मालवी लोक साहित्य, बघेली लोक साहित्य, हिन्दी भाषा संरचना, प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य, मालवी भाषा और साहित्य।
आचार्य नित्यानंद शास्त्री और रामकथा कल्पलता, मालवसुत पं. सूर्य नारायण व्यास, गोंडी लोक साहित्य, भीली लोक साहित्य, अवन्ती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, महात्मा गांधी : विचार और नवाचार, स्त्री विमर्श : परंपरा और नवीन आयाम, सिंहस्थ विमर्श, मालव मनोहर आदि सहित
निबंध, आलोचना, भाषा शास्त्र, देवनागरी लिपि, लोक एवं जनजातीय साहित्य और संस्कृति आदि पर पैंतीस से अधिक ग्रन्थों का लेखन एवं सम्पादन शामिल है। शोध पत्रिकाओं और ग्रन्थों में उनके तीन सौ से अधिक शोध एवं समीक्षा निबंधों तथा प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आठ सौ से अधिक कला एवं रंगकर्म समीक्षाओं का प्रकाशन हुआ है।
यह जानकारी राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के कार्यालय प्रमुख एवं कोषाध्यक्ष डॉ. प्रभु चौधरी ने देते हुए बताया कि डॉ. शर्मा को पूर्व में अर्पित किए गए महत्वपूर्ण एवं ख्यात सम्मान और पुरस्कार हैं- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान, म.प्र. लेखक संघ, भोपाल द्वारा हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान।
भाषा-भूषण सम्मान, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, आचार्य विनोबा भावे राष्ट्रीय नागरी लिपि सम्मान, अक्षर आदित्य सम्मान, आलोचना भूषण सम्मान, साहित्य सिंधु सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, हिंदी सेवी सम्मान, अभिनव शब्द शिल्पी अलंकरण, विश्व हिन्दी सेवा सम्मान आदि।
प्रो. शर्मा ने थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, यूएई एवं म्यांमार की अकादमिक यात्राएँ की हैं। उन्होंने साहित्य, भाषा, लिपि और लोक एवं जनजातीय संस्कृति से जुड़ी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की सैकडों संगोष्ठियों, व्याख्यानमाला और कार्यशालाओं में व्याख्यान, शोध प्रस्तुति एवं समन्वय किया है।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए देश एवं प्रदेश के अनेक साहित्यकारों, संस्कृति कर्मी और शिक्षाविदों ने हर्ष व्यक्त कर प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को बधाई दी।
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