आबकारी नीति मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर ED की प्रतिक्रिया मांगी

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने वापस ली जा चुकी आबकारी नीति के मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से प्रतिक्रिया मांगी है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया की जमानत याचिका और उनकी पत्नी के खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग वाली एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया है। ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि दोनों जमानत याचिकाओं पर एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाएगा।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 मई को तय की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज केस में सिसोदिया की जमानत याचिका पर जस्टिस शर्मा गुरुवार दोपहर 12.30 बजे सुनवाई करेंगे। सुनवाई के दौरान हुसैन ने अदालत को बताया कि सिसोदिया आबकारी नीति के निर्माण में प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक हैं। इस पर, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि ईडी को जवाब दाखिल करने के बाद ही सुना जाना चाहिए।

सिसोदिया ने अपनी पत्नी की बीमारी के आधार पर सीबीआई केस में अंतरिम जमानत के लिए बुधवार को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति शर्मा ने अपनी नियमित जमानत याचिका के साथ गुरुवार को विचार के लिए याचिका को सूचीबद्ध करते हुए सीबीआई से उसी दिन मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का प्रयास करने को कहा था। पिछले सप्ताह राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश नागपाल ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी थी।

कोर्ट ने सीबीआई को सिसोदिया को पूरक आरोपपत्र की ई-कॉपी मुहैया कराने का भी निर्देश दिया था। सिसोदिया के वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने मामले में अधूरी जांच दायर की थी और अदालत से उनके मुवक्किल को डिफॉल्ट जमानत देने का आग्रह किया था। वकील ने कहा था, प्रथम ²ष्टया ऐसा लगता है कि एजेंसी कह रही है कि मेरे बारे में और जांच की आवश्यकता है/लंबित है। इसलिए, हमें वैधानिक जमानत का अधिकार है। जांच एजेंसी ने 25 अप्रैल को आरोपपत्र दायर किया था।

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