आठ योगी महापुरुष जो आज भी जीवित और अमर माने जाते हैं!

वाराणसी। आइए जानते हैं आठ योगी महापुरुष जो आज भी जीवित और अमर माने जाते हैं।

1) महावीर हनुमान : अंजनी पुत्र हनुमान जी को अजर और अमर रहने के वरदान मिला है तथा इन की मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों जगह पर पाई गई है। रामायण में हनुमान जी ने प्रभु राम की सीता माता को रावण के कैद से छुड़वाने में मदद की थी और महाभारत में उन्होंने भीम के घमंड को तोडा था। सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था की वे सदेव अजर-अमर रहेंगे। अजर-अमर का अर्थ है की उनकी कभी मृत्यु नही होगी और नही वे कभी बूढ़े होंगे। माना जाता है की हनुमान जी इस धरती पर आज भी विचरण करते है।

2) अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र है तथा उनके मस्तक में अमरमणि विद्यमान है। अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवो के पुत्रो की हत्या करी थी जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने पापो के प्रायश्चित के लिए इस धरती में ही भटकने का श्राप दिया था। हरियाणा के करुक्षेत्र और अन्य तीर्थ में उनके दिखाई दिए जाने के दावे किये जाते है तथा मध्यप्रदेश के बुराहनपुर में उनके दिखाई दिए जाने की घटना प्रचलित है।

3) ऋषि मार्कण्डेय : ऋषि मार्कण्डेय भगवान शिव के परम भक्त है। उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या द्वारा महामृत्युंजय तप को सिद्ध कर मृत्यु पर विजयी पा लिया और चिरंजीवी हो गए।

4) भगवान परशुराम : परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम का पहले का नाम राम था और शिव के परम भक्त थे। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा (परशु) दिया जिस कारण उनका नाम परशुराम पड़ा।

5) कृपाचार्य : कृपाचार्य शरद्वान गौतम के पुत्र हैं। वन में शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु मिले जिनका नाम उन्होंने कृपि और कृप रखा तथा उनका पालन पोषण किया। कृपाचार्य कौरवो के कुलगुरु तथा अश्वत्थामा के मामा हैं, उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवो को साथ दिया।

6) विभीषण : विभीषण ने भगवान राम की महिमा जान कर युद्ध में अपने भाई रावण का साथ छोड़ प्रभु राम का साथ दिया। राम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया था।

7) महर्षि वेदव्यास : महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे प्रसिद्ध काव्य की रचना की है। उनके द्वारा समस्त वेदो एवं पुराणो की रचना हुई। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र है। ऋषि वेदव्यास भी अष्टचिरंजीवियो में सम्मलित है।

8) राजा बलि : राजा बलि को महादानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया अतः भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बनाया और अमरता का वरदान दिया। राजा बलि प्रह्लाद के वंशज है..!!

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो,9993874848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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