जयपुर : भारत की प्रमुख सीमेंट कंपनी जेके सीमेंट ने राजस्थान के जयपुर ज़िले में स्थित कई सरकारी स्कूलों में 250 रैम्प बनाने की घोषणा की। ‘बनाए हर राह आसान’ के नाम से आयोजित यह पहल सुनिश्चित करती है कि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिले और पूरे अकादमिक सिस्टम को बढ़ावा देती है। जेके सीमेंट के पूर्व सीएमडी यदुपति सिंघानिया की पहली पुण्यतिथि के मौके पर जेके सीमेंट ने इस प्रोग्राम का आयोजन किया, उनका निधन 13 अगस्त 2020 को हुआ था।
शिक्षा के लिए जेके सीमेंट की प्रतिबद्धता सरकार की राष्ट्रीय शिक्षानीति के अनुरूप है, जिसके तहत सभी छात्रों के लिए एक समान एवं समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। कथित नीति के अनुसार सभी शैक्षणिक इमारतें और सुविधाएं दिव्यांगों के अनुकूल होनी चाहिए, जहां व्हीलचेयर ले जाना आसान हो। एक ही दिन में विभिन्न सरकारी स्कूलों में 250 रैम्प बनाकर जेके सीमेंट ने स्कूलों की बुनियादी संरचना को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के सरकार के दृष्टिकोण में योगदान दिया है, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से चूक न जाए।
इस अवसर पर डाॅ. राघवपत सिंघानिया, मैनेजिंग डायरेक्टर, जेके सीमेंट ने कहा, ‘‘हमारे पूर्व सी एम डी श्री यदुपति सिघांनिया जी हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। आशा, सहानुभूति एवं करूणा की भावना रखने वाले यदुपति जी का मानना था कि हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। हर बच्चे के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना उन का सपना था।हमारे पूर्व सीएमडी के विनम्र विचारों ने ही जेके सीमेंट को एक ऐसे संगठन के रूप में विकसित किया है, जो न सिर्फ लगातार विकसित हो रहा है बल्कि निःस्वार्थ भाव से समाज कल्याण की दिशा में भी अपने प्रयासों को जारी रखे हुए है। उम्मीद करते हैं इस सीएसआर पहल के माध्यम से हम यदुपति जी के विचारों को बरक़रार रख सकेंगे और उनकी धरोहर कोआगे बढ़ाते रहेंगे।’’
माधव कृष्णा सिंघानिया, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ ने कहा, ‘‘एक तरह से हम कह सकते हैं कि राजस्थान जेके सीमेंट का अपना राज्य है। हमने 1975 में राजस्थान के निम्बाहेड़ा में अपने पहले सीमेंट प्लांट की स्थापना की थी, तब से राजस्थान के साथ हमारा मजबूत रिश्ता रहा है और हमारा मानना है कि हमें समाज के भविष्य में सुधार लाने के लिए कुछ करना चाहिए। बच्चे देश का भविष्य हैं और हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है ताकि आगे चलकर वे अपने लिए एक बेहतर कल का निर्माण कर सकें।शिक्षा को सभी के लिए सुलभ एवं आसान बनाने के लिए हम भविष्य में भी इस तरह के प्रयास जारी रखेंगे।’’
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 75 फीसदी दिव्यांग बच्चों को अपने जीवन में किसी शैक्षणिक संस्थान जाने का अवसर नहीं मिलता। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार पिछले दो दशकों में कई नीतियां लेकर आई है, ताकि दिव्यांगों के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार लाया जा सके और शिक्षा को सभी छात्रों के लिए सुलभ एवं आसान बनाया जा सके।