राष्ट्रपति द्वारा संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन में पेपर लीक की गूंज- परीक्षा में सुचिता व पारदर्शिता बहुत जरूरी

भारत में पेपर लीक मामले- अब बातें नहीं शैक्षणिक बुलडोजर की जरूरत- फास्ट ट्रैक कोर्ट में तीन माह में फैसले की जरूरत
राष्ट्रपति के अभिभाषण में पेपर लीक मामले में कड़ी सजा सुचिता व पारदर्शिता की प्रतिबद्धता सराहनीय- हर राज्य को सख्त कानून बनाना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में प्रतिष्ठित भारतीय बौद्धिक क्षमता का डंका कहीं हमारे आगे की पीढ़ियों में कम ना हो जाए, इसकी आशंका बुद्धिजीवी वर्ग व्यक्त कर रहे हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह पेपर लीक मामले आ रहे हैं, उसे यह अंदेशा साफ लगाया जा सकता है कि, अब अपात्र, असक्षम व अयोग्य व्यक्तियों की घुसपैठ बड़ी मात्रा में बड़े-बड़े सरकारी, गैर सरकारी व प्रोफेशनल व्यवसाय में हो रही है जो स्वाभाविक ही प्रतिष्ठित भारतीय बौद्धिक क्षमता के डंके को चोट पहुंचा सकती है। क्योंकि यदि आरोग्य लोग डॉक्टर, इंजीनियर, आईआईटी, सिविल सर्विसेज सहित अन्य उपाधियां लेकर आ आएंगे तो स्वाभाविक रूप से उनका परफॉर्मेंस अपेक्षाकृत नहीं होगा। वैश्विक मानकों पर खरा नहीं उतरेगा तो भारत की प्रतिष्ठा धूमिल होगी, जिसका सीधा प्रभाव विजन 2047 पर पड़ेगा। इसलिए अब समय आ गया है कि इन पेपर लीक माफियाओं की नकेल अति सख्ती से कसी जाए। इसके लिए मेरे विचार में यह सुझाव आ रहे हैं, जिन पर संभव हो तो सरकारों द्वारा विचार किया जा सकता है।

(1) पेपर लीक मामले पर भी बुलडोजर नीति अपनाना।
(2) हर राज्य में यूपी पेपर लीक अध्यादेश मॉडल कानून करना।
(3) फास्ट ट्रैक कोड बनाना जो तीन माह में सुनवाई कर फैसला दे।
(4) यह फैसले की फास्ट ट्रैक कोर्ट, सभी अपीलीय कोर्टों व प्राधिकरण में करना।
(5) शिक्षा माफियाओ को चिन्हित कर उनकी चैनल को तोड़ना।
(6) पेपर के सब्सडायरी चैनलो जैसे ट्रांसपोर्टेशन भंडारण वितरण को अति सख्त करना।
(7) पेपर मॉडल बनाने वालों का चयन अति सुचिता योग्यता व तकनीकी सुरक्षा से करना।
(8) अल्टरनेट पेपर सेटों की संख्या में वृद्धि करना।
(9) शिक्षा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों की छिपी अघोषित संपत्तियों का संज्ञान लेकर कार्रवाई की सिफारिश करना।
(10) पेपर लीक आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराएं लगाना सहित इससे भी सख्त कार्रवाई के सेक्शंस को जोड़ा जा सकता है।

यह बात आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मेरी जानकारी में शायद है पहली बार हो रहा है कि माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा 27 जून 2024 को संसद के संयुक्त सत्र में अपने संबोधन में पेपर लीक का मुद्दा उठाया है व कार्रवाई की बात कही है, जो पूरी दुनिया ने सुनी है। इसलिए मेरे उपरोक्त सुझावों पर गौर करने की अपेक्षा मैं करता हूं, तथा सबसे अहम बात आरोपियों को न्यायिक प्रणालियों में लंबा समय मिल जाता है जो उनके छूट/एक्यूटल या वह मामला रफ़ादफा होने का प्रमुख कारण बन जाता है। इसलिए निचली कोर्ट से लेकर ऊपरी कोर्ट तक इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटना व अपीलीय कोर्ट व प्राधिकरण सहित अधिकतम तीन माह में फैसले पर विचार करना होगा। चूंकि आज संसद के दोनों सत्रों में राष्ट्रपति के संबोधन में पेपर लीक का मामला गूंजा इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत में पेपर लीक मामले अब बातें नहीं शैक्षणिक बुलडोजर चलाने की जरूरत है तथा फास्ट्रेक कोर्ट में तीन माह में फैसले की जरूरत है।

साथियों बात अगर हम माननीय राष्ट्रपति द्वारा दिनांक 27 जून 2024 को संसद के संयुक्त सत्र में संबोधन में पेपर लीक मामले पर बोलने की करें तो, संयुक्त अभिभाषण के दौरान नीट पेपर लीक को लेकर बात की। इस दौरान विपक्ष ने जमकर शोर मचाया, उन्होंने कहा हमारी सरकार देश के हर युवा को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए सही माहौल बनाने में जुटी हुई है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘नीट-नीट’ के नारे लगाए। इस दौरान राष्ट्रपति को विपक्षी सांसदों को सुनिए-सुनिए तक कहना पड़ा। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले। सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, इनमें अगर किसी भी वजह से रुकावट आए तो ये उचित नहीं है। इन परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता बहुत जरूरी है। पेपर लीक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाएं हुईं, जिनकी निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमने कई राज्यों में पहले भी पेपर लीक की घटनाओं को होते हुए देखा है।

इस मुद्दे पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी उपाय करने की जरूरत है। संसद ने परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के खिलाफ एक सख्त कानून बनाया है। सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज, परीक्षा प्रक्रिया समेत सभी सुधार करने की कोशिश कर रही है। राष्ट्रपति द्वारा पेपर लीक का जिक्र करने के दौरान विपक्ष जमकर नारेबाजी करते हुए नजर आया। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 सालों में ऐसे हर अवरोध को हटाया गया है, जिनसे युवाओं को परेशानी रही है। पहले अपने सर्टिफिकेट को अटैच करने के लिए भटकना पड़ता था। अब युवा खुद ही ये काम कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ग्रुप-सी और ग्रुप डी भर्तियों से इंटरव्यू को खत्म किया गया है। उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा कि संसद ने पेपर लीक पर कड़ा कानून बनाया है। यह कानून 21 जून की रात से देशभर में लागू हो चुका है। नए कानून के तहत पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल की जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। सरकार की तरफ से नए कानून का मकसद परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों को रोकना है। नए पेपर लीक कानून के दायरे में लोक संघ लोक सेवा आयोग, एसएससी, जेईई, नीट, सीयूईटी, रेलवे बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और एनटीए की तरफ से आयोजित सभी परीक्षाएं सख्ती साथ के कवर होंगी।

साथियों बात अगर हम यूपी में लाए गए पेपर लीक संबंधी 2024 के नए अध्यादेश की करें तो यूपी में पेपर लीक की घटनाओं पर सरकार सख्त तेवर दिखाते हुए अध्यादेश लाई है, जिसके तहत पेपर लीक में दोषी पाए जाने पर एक करोड़ रुपये के जुर्माने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। सीएम के कड़े तेवरों ने साफ कर दिया है कि यूपी में पेपर लीक की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। अब परीक्षा में होने वाले खर्च की भरपाई भी सॉल्वर गैंग से वसूलने की तैयारी की गई है। इसमें दोषियों की संपत्ति तक को कुर्क किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में कई भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ीके मामले सामने आए थे, जिसके बाद सीएम नकल माफियाओं के खिलाफ सख्त एक्शन लेने का वादा किया था। चुनाव से ठीक पहले यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा तक को रद्द करना पड़ा था। विपक्षी दलों ने इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा भी बनाया और इसका असर भी देखने को मिला।

साथियों बात अगर हम पेपर लीक मामले में 27 जून 2024 को पूरे देश में आक्रोश की करें तो मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर देशभर में आक्रोश है। छात्र सड़कों पर उतरकर सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई याचिकाएं भी लगाई गई हैं। अब नीट पेपर लीक का मामला संसद में भी गूंजने वाला है। शुक्रवार (28 जून) को बड़ी पार्टी की अगुवाई में इंडिया गठबंधन लोकसभा और राज्यसभा में नीट विवाद पर स्थगन प्रस्ताव ला सकती है। पार्टी अध्यक्ष के आवास पर हुई इंडिया गठबंधन दलों की बैठक में ये फैसला लिया गया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि नीट मुद्दे पर सीबीआई की जांच से लेकर स्पेशल कमिटी बनाने तक हर संभव कार्रवाई की गई है। कमिटी की रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है। साथ ही एंटी पेपर लीक कानून लागू होने से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो गई है। इससे एक मजबूत एजुकेशन सिस्टम की नींव भी रखी जा सकेगी।

वहीं दूसरी ओर नीट पेपर लीक के विरोध में एनएसयूआई कार्यकर्ता एनटीए के दफ्तर में घुस गए हैं। कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए एनटीए के गेट पर अंदर से ताला लगा दिया।अब तक सीबीआई ने 6 में से 5 राज्यों में कुल 29 गिरफ्तारियां की हैं। बिहार के पटना से दो को आज गिरफ्तार किया गया है। मास्टरमाइंड फरार बताया जा रहा है। गुजरात से 5 गिरफ्तारियां हुई हैं। महाराष्ट्र के लातूर से दो को अरेस्ट किया गया है। झारखंड से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पश्चिम बंगाल से एक आरोपी को पकड़ा गया है। बता दें कि विवाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 5 मई को नीट (यूजी) एग्जाम करवाया था। परीक्षा में कुल 24 लाख छात्र शामिल हुए थे। परीक्षा में बहुत ज्यादा नंबर दिए जाने के आरोप लगे हैं। इस वजह से इस साल रिकॉर्ड 67 कैंडिडेट्स ने परफेक्ट स्कोर के साथ टॉप रैंक हासिल किया है। पिछले साल टॉप रैंक पर मात्र दो स्टूडेंट आए थे। ऐसे में स्टूडेंट्स का आरोप है कि कई कैंडिडेट्स के मार्क्स प्लान के तहत घटाए और बढ़ाए गए हैं। दूसरी ओर, 6 सेंटर में एग्जाम कराने में देरी हुई।समय की बर्बादी की भरपाई के लिए ऐसे सेंटरों में कम से कम 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स भी दिए गए, जो जांच के दायरे में हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रपति द्वारा संसद के संयुक्त सत्र को संबोधन में पेपर लीक की गूंज, परीक्षा में सुचिता व पारदर्शिता बहुत जरूरी। भारत में पेपर लीक मामले- अब बातें नहीं शैक्षणिक बुलडोजर की जरूरत, फास्ट ट्रैक कोर्ट में तीन माह में फैसले की जरूरत। राष्ट्रपति के अभिभाषण में पेपर लीक मामले में कड़ी सजा सुचिता व पारदर्शिता की प्रतिबद्धता सराहनीय- हर राज्य को सख्त कानून बनाना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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