कोलकाता। नवरात्रि के अगले दिन दशहरा पड़ता है। इस दिन को अधर्म (असत्य) पर धर्म (सत्य) की जीत के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन लंकापति रावण का वध किया था। इसी खुशी में विजयादशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाता है। माना ये भी जाता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षक का भी अंत किया था। जिस कारण इस पर्व की खुशी दोगुनी हो जाती है।
दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस पर्व पर भारत की अलग-अलग जगहों पर रामलीला की झांकियों का मंचन किया जाता है। इस दिन जगह-जगह मेलों का आयोजन किया जाता है।
ये पर्व कई प्रकार के पापों :- काम, क्रोध, लालच, मोह-मद, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी का परित्याग करने की प्ररेणा देता है।
दशहरा 2021 कब है : हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरे का पावन पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार विजय दशमी 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसे असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने रावण का वध अष्टमी व नवमी के संधि काल में किया था। आइए जानते हैं दशहरे का शुभ मुहूर्त।
दशहरा 2021 का शुभ मुहूर्त : नौ दिनों की नवरात्रि की समाप्ति के साथ 14 अक्टूबर 2021, बृहस्पतिवार को शाम 06 बजकर 52 मिनट से दशमी तिथि की शुरुआत होगी और इसका समापन 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त : पूजा का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से दोपहर 02 बजकर 48 मिनट तक है। इस दौरान मां भगवती और भगवान राम की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है।
दशहरे का महत्व : सनातन धर्म में विजयदशमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान राम की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का नाश होता है और विशेष फल की प्राप्ति होती है। तथा रावण का पुतला दहन करने से सभी अवगुणों का नाश होता है। इस दिन मां भगवती की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है। साथ ही विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन का भी विधान है, मान्यता है कि इस दिन शस्त्र पूजन से आपके अस्त्र शस्त्रों से किसी को नुकसान नहीं पहुंचता है।