आशा विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। आज के ‘जेट युग’ में सबसे कीमती वस्तु समय है। सबको सब कुछ झटपट चाहिए। मोबाइल में 5G स्पीड, खाने में फ़ास्ट फ़ूड, मनोरंजन के लिए शॉर्ट फिल्म्स, 30 सेकंड की रील आज की पीढ़ी विशेषकर युवाओं की पहली पसंद बन चुका है।
गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में संपादक डॉक्टर धनेश द्विवेदी ने समय की इसी नब्ज को परखते हुए ‘मेरी इकतीस लघु कथाएं’ पुस्तक लिखी है। जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट है, यह किताब धनेश जी की इकतीस लघु कथाओं का संग्रह है। सभी कहानियां छोटी अवश्य हैं लेकिन संदेश बड़ा देती हैं। तमाम ज्वलंत विषयों को लेकर गागर में सागर भरने का प्रयास किया है धनेश जी ने। समाज में व्याप्त भृष्टाचार, महंगाई, पैसा प्रेम, कुर्सी का किस्सा, स्त्रियों का दोहरा चरित्र, सास-बहू, माता-पुत्र के संबंधों से लेकर बेटा-बेटी में फर्क , दूसरे धर्म में विवाह और उसके परिणाम, समलैंगिक संबंध जैसे तमाम विषयों पर धनेश जी ने इशारों-इशारों में गंभीर कटाक्ष किया है।
‘मिठाई की दुकान’ शिक्षा को शुद्ध व्यापार समझने वालों पर व्यंग्य है , ‘दोहरा चरित्र’ नारी के कथनी और करनी में अंतर, ‘पैसा’ सबंधो पर भारी पड़ते धन के महत्व, ‘दवाई’ देश की चिकित्सा व्यवस्था पर प्रहार, ‘लोभ का पत्थर’ हृदय परिवर्तन, ‘गुब्बारा’ परहित, ‘बहू का प्रेम’ तथाकथित पढ़ी लिखी, कामकाजी स्त्रियों के घोर स्वार्थ, ‘महंगाई’ अपराध और खून की घटती कीमत, ‘बेटे से बेटी भली’ बेटियों के महत्व, ‘गलत निर्णय’ मेन विल बी मेन, ‘पेट भर खाना’ रक्षक के भक्षक बनने, ‘सीख’ तथाकथित कुत्ता प्रेमियों, ‘ भृष्टाचार’ भृष्टाचार के अजर, अमर होने, ‘रहम की भीख’ राजनेताओं के यूज एंड थ्रो, ‘मांस का लोथड़ा’ दंगों की विभीषिका और परिणामों पर व्यंग्य करती है और गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े करती है। अन्य कहानियों में भी कुछ न कुछ संदेश , सीख या व्यंग्य छुपा हुआ है। सभी इकतीस कहानियां सच के बेहद नजदीक, हमारे समाज का दर्पण हैं।
पुस्तक लघु कहानियों के बड़े और गहरे प्रभाव के कारण तो पठनीय है ही परंतु इस पुस्तक की सबसे विशिष्ट खूबी यह है कि इसकी सभी कहानियों को चार भाषाओं – हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और रूसी भाषा में लिखा गया है। यह विशिष्टता लेखक की उक्त चार भाषाओं में समान अधिकार को तो दर्शाता ही है, साथ ही चार भाषाओं में लिखी गई यह विश्व की पहली लघु कथा पुस्तक है। ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस’ ने इस अनूठी उपलब्धि के लिए इस किताब को उत्कृष्टता प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है।
साहित्य के सुधी पाठकों से मेरा अनुरोध है कि प्रख्यात लेखक डॉक्टर धनेश द्विवेदी द्वारा लिखित और ‘हिंदुस्तानी भाषा अकादमी’ द्वारा प्रकाशित इस बहुभाषी और बहुमूल्य पुस्तक को अवश्य पढ़ें और एक टिकट में चार मूवी का आनंद लें।
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