डीपी सिंह की कुण्डलिया

।।कुण्डलिया।।

नेता जी! तुम मत करो, यहाँ न्याय की बात
तय हो मज़हब-जाति से, जब सुविधा-सौगात

जब सुविधा-सौगात, चहेतों को ही मिलती
या फिर जब दिख जाय, तुम्हारी कुर्सी हिलती

पानी कहते किन्तु, आग के हो विक्रेता
सम-विधान के नाम, न बाँटो हमको नेता
डीपी सिंह

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