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यूक्रेन युद्ध पर यूरोपीय संघ के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में ट्रंप की अनदेखी- ट्रंप के शांति प्रयास से यूरोपीय संघ अलग-अलग पड़ा?
रूस-यूक्रेन पीस टॉक- अपने ही देश में जंग पर चर्चा से बाहर है यूक्रेन! पूरे विश्व की निगाहें ट्रंप-पुतिन की संभावित बैठक पर लगी हुई है- अधिवक्ता के. एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर सर्वविदित है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने हर चुनावी सभा में अनेकों वादे किए थे, जो चुनने के बाद क्रमवार, एक प्रक्रिया के तहत पूरे करते जा रहे हैं। पहले टैरिफ बढ़ाना, अवैध अप्रवासियों को निकालना अमेरिकी फर्स्ट संकल्प को आगे बढ़ाने के साथ अब रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर फोकस किया जा रहा है। परंतु यह किसी को उम्मीद नहीं थी कि इस पीस प्रक्रिया में यूक्रेन को ही बाहर कर दिया जाएगा?क्योंकि अभी हाल ही में यूक्रेन अमेरिका सहित कुछ अधिकारियों की सऊदी अरब के रियाद में संपन्न हुई जिसमें तीन मुद्दों पर आपसी सहमति बनी।
(1) यूक्रेन मुद्दे पर शांति समझौते के लिए दोनों देश टीम बनाएंगे। ये टीमें लगातार बातचीत करेंगीं।
(2) अमेरिका ने कहा कि बैठक का मकसद होगा युद्ध को स्थायी तौर पर खत्म करना।
(3) अमेरिका ने कहा कि शांति बहाल करने की कोशिशों में किसी न किसी तरह यूक्रेन और यूरोप को भी शामिल किया जाएगा। हम ऐसा हल निकालेंगे जो युद्ध से प्रभावित हर पक्ष को स्वीकार हो। बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि बैठकों में यूक्रेन और यूरोप को शामिल ने कर ट्रंप एकला चलो की राह पर यूरोपीय संघ व यूक्रेन को नजर अंदाज कर रहे हैं, जो रेखांकित करने वाली बात है। रियाद बैठक के बाद अब सबकी नजरें ट्रंप-पुतिन की संभावित बैठक पर लगी हुई है? चूँकि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस यूक्रेन युद्ध का ठीकरा यूक्रेन पर फोड़ कर अपनी रणनीति का संकेत दिया है तथा यूक्रेन में युद्ध पर यूरोपीय संघ के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में ट्रंप की अनदेखी कर ट्रंप की शांति प्रक्रिया से यूरोप अलग-थलग पड़ा है? इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, रूस यूक्रेन पीस टॉक में अपने ही देश में जंग पर चर्चा से बाहर है यूक्रेन! पूरे विश्व की निगाहें ट्रंप पुतिन की संभावित बैठक पर लगी हुई है?
साथियों बात अगर हम रूस यूक्रेन युद्ध में ट्रंप के बदले रुख कि करें तो, यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को लेकर अमेरिका का रुख डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से बदला हुआ लग रहा है। उन्होंने पिछले दिनों यह कहकर यूक्रेन समेत सभी को चौंका दिया था कि जंग के लिए कीव जिम्मेदार है। अब तक जो बाइडेन सरकार यूक्रेन का समर्थन कर रही थी और रूस को ही इस जंग की वजह बता रही थी। ऐसे में अब युद्ध का ठीकरा यूक्रेन पर फोड़कर डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी बदली नीति का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध के लिए कीव जिम्मेदार है। यूक्रेन में युद्ध अगले सप्ताह अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। इस बीच यूक्रेन और रूस के लिए अमेरिका के विशेष दूत कीव पहुंचे हैं।
वह यहां राष्ट्रपति जेलेंस्की एवं सैन्य कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे। रूस को अलग-थलग करने की अपनी वर्षों पुरानी नीति में अमेरिका के बदलाव लाने के बीच के लॉग यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं। सऊदी अरब में शीर्ष अमेरिकी और रूसी राजनयिकों के बीच वार्ता हुई थी। इसमें यूक्रेन और उसके यूरोपीय समर्थकों को दरकिनार कर दिया गया था। ट्रंप की टिप्पणियों से यूक्रेनी अधिकारियों को परेशानी हो सकती है, जिन्होंने रूसी आक्रमण से लड़ने में यूरोपीय देशों से मदद करने का आग्रह किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था। इस बीच, रूसी सेना द्वारा यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में लगातार किए जा रहे हमले से यूक्रेनी सेना कमजोर हो रही है, जिसे धीरे-धीरे लेकिन लगातार 1,000 किलोमीटर की अग्रिम पंक्ति में कुछ मोर्चों पर पीछे धकेला जा रहा है।
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप खुद को व्लादिमीर पुतिन का मित्र बताते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सऊदी अरब की मध्यस्थता के साथ कोई रास्ता निकाला जा सकता है। सऊदी की अमेरिका और रूस दोनों ही देशों से करीबी है और अच्छे संबंध हैं। सऊदी अरब के रियाद में 4:30 घंटे चली बैठक में रूस-अमेरिका के विदेश मंत्रियों समेत अन्य नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में दोनों देशों ने सबसे पहले अपने आपसी रिश्ते सुधारने की पहल की। इसमें सहमति बनी कि दोनों देश जल्द से जल्द अपने दूतावासों को चालू करेंगे। यहां स्टाफ की भर्ती करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बने। यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद दोनों देशों ने दूतावास से स्टाफ को निकाल दिया था। करीब तीन साल से दूतावास बंद पड़े थे।
साथियों बात अगर हम इस मुद्दे पर पुतिन ट्रंप व जेलेंस्की के बयानों की करें तो, पुतिन जेलेंस्की से बातचीत करने को तैयार है और कहा कि पहली बैठक का मकसद यूएस-रूस के बीच भरोसा बढ़ाना था; यूक्रेन के बिना समझौता नहीं होगा। रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति आखिरी बार दिसंबर 2019 में फ्रांस में मिले थे। रूसी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा है कि वे यूक्रेन के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जंग रोकने के लिए किसी भी समझौते से यूक्रेन को बाहर नहीं रखा जाएगा दरअसल मंगलवार को सऊदी अरब में हुई रूस और अमेरिका के बातचीत पर जेलेंस्की ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में हमें न बुलाया जाना हैरान करने वाला है। कोई भी डील हमसे बात किए बिना कैसे हो सकती है।
रूस की एजेंसी के मुताबिक पुतिन ने कहा कि रूस और अमेरिका के बीच भरोसा बढ़ाए बिना यूक्रेन युद्ध समेत कई मुद्दों का हल नहीं निकाला जा सकता है। रियाद में हुई बैठक का यही मकसद था। पुतिन ने ये भी कहा कि रूस ने कभी यूरोप या यूक्रेन से बात करने से इनकार नहीं किया। बल्कि यूक्रेन ही अब तक रूस से बात करने से इनकार करता आया है। पुतिन ने कहा- हम किसी पर कुछ भी नहीं थोप रहे। हम बात करने के लिए तैयार हैं। ये हम सैकड़ों बार कह चुके हैं। अगर वे राजी हैं, तो बातचीत होने दीजिए। कोई यूक्रेन को किसी समझौते से बाहर नहीं कर रहा है।इसमें सहमति बनी कि दोनों देश जल्द से जल्द अपने दूतावासों को चालू करेंगे। यहां स्टाफ की भर्ती करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बने।
यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद दोनों देशों ने दूतावास से स्टाफ को निकाल दिया था। करीब तीन साल से दूतावास बंद पड़े थे। पुतिन ने रूस और अमेरिका के बीच हुई बातचीत को अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने बिना किसी पक्षपात के बातचीत में हिस्सा लिया। उन्होंने ये भी कहा कि वे ट्रम्प से मिलना चाहेंगे लेकिन इस बैठक की तैयारी करनी बाकी है। ट्रम्प ने कहा- यूक्रेन ने समाधान खोजने के लिए तीन साल का वक्त गंवाया वहीं, जेलेंस्की की नाराजगी को लेकर ट्रम्प ने कहा कि मैं सुन रहा हूं जेलेंस्की कह रहे कि हमने बातचीत में उन्हें शामिल नहीं किया। सच तो ये है कि उनके पास बातचीत करने के लिए तीन साल का वक्त था। उससे पहले भी वे बात कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ये वक्त गंवाया।
ट्रम्प ने कहा कि जेलेंस्की को कभी युद्ध की शुरुआत करनी ही नहीं चाहिए थी। वे बहुत आसानी से डील कर सकते थे। ट्रम्प ने मंगलवार को कहा था कि यूक्रेन में जेलेंस्की की अप्रूवल रेटिंग गिरकर सिर्फ 4 प्रतिशत रह गई है। इसके जवाब में जेलेंस्की ने कहा कि सबसे हालिया नतीजों में मुझे 58 प्रतिशत वोट मिले हैं यानी इतने यूक्रेनी लोग मुझ पर भरोसा करते हैं। इसलिए अगर कोई मुझे सत्ता से हटाना चाहता है, तो ये अभी काम नहीं करेगा। जेलेंस्की ने कहा कि रूस की तरफ से लगातार यूक्रेन को लेकर गलत जानकारी दी जा रही है। राष्ट्रपति ट्रम्प का हम सम्मान करते हैं, लेकिन अफसोस की बात है वे गलत जानकारी के बुलबुले में जी रहे हैं। मेरी अप्रूवल रेटिंग की गलत जानकारी रूस ही अमेरिका को दे रहा है। इसे लेकर ट्रम्प ने बुधवार को कहा कि जेलेंस्की एक तानाशाह हैं जो बिना चुनाव के राष्ट्रपति बने हुए हैं। वे जल्दी कदम उठाएं नहीं तो उनके पास कोई देश नहीं बचेगा।
साथियों बात अगर हम रूस अमेरिकी राष्ट्रपति की बैठक पर पूरी दुनिया की नजरों की करें तो, ट्रंप प्रशासन रूस से अलग समझौता करने की कोशिश में है, कहा जा रहा है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो से बाहर रखने, रूस को क्षेत्रीय रियायतें देने और भविष्य में अमेरिकी भागीदारी को सीमित करने की योजना बना रहा है? यह यूरोपीय देशों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। यूरोपीय नेताओं के लिए अब यह तय करना अहम है कि वे अमेरिकी नीतियों के साथ कैसे तालमेल बिठाते हैं और अपनी सुरक्षा नीति को कैसे मजबूत करते हैं, फ्रांस के अखबार ले मोंद ने लिखा, यूरोप और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक दरार उभर रही है। यूरोपीय देशों को अब खुद अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। यूरोप में अब रक्षा बजट बढ़ाने और नाटो की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की मांग जोर पकड़ रही है।
साथियों बात अगर हम ट्रंप की बदली रणनीति से यूरोपीय संघ सख्त होने की करें तो, फ्रांस के राष्ट्रपति बुधवार देर रात तक यूक्रेन युद्ध को लेकर यूरोपीय नेताओं के साथ दूसरी मीटिंग किए, इसमें करीब 15 देशों के शामिल होने का अनुमान था। इनमें से ज्यादातर देश वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ें। दो दिन पहले ही यूक्रेन की सिक्योरिटी को लेकर एक बैठक हुई थी। इसमें ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, पोलैंड, स्पेन, डेनमार्क और नीदरलैंड्स शामिल हुए थे। इसके अलावा यूरोपीय यूनियन के शीर्ष प्रतिनिधी और नाटो के सेक्रेटरी जनरल भी इसमें मौजूद थे। इस बैठक में तय किया गया था कि ये देश और संस्थाएं अपनी सुरक्षा पर ज्यादा खर्च करेंगे और यूक्रेन के भविष्य के बारे में लिए जाने वाले फैसलों में उसे शामिल करेंगे।
संभावना है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री आने वाले दिनों में तीसरी मीटिंग रखेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति की नई नीति के बाद यूरोप में हड़कंप मचा हुआ है, फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई यूरोपीय नेताओं की आपात बैठक में यूक्रेन संकट पर एक राय नहीं बन पाई, ब्रिटेन और फ्रांस ने सुरक्षा गारंटी पर जोर दिया, जबकि जर्मनी ने शांति सैनिक भेजने के सुझाव को खारिज कर दिया। इस बैठक से पहले, म्यूनिख में हुए सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ की तीखी आलोचना की थी, यूरोपीय नेताओं को डर है कि ट्रंप प्रशासन रूस के साथ शांति वार्ता में उन्हें नजर अंदाज कर सकता है।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध का ठीकरा यूक्रेन पर फोड़ कर अपनी बदली रणनीति का संकेत दिया? यूक्रेन युद्ध पर यूरोपीय संघ के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में ट्रंप की अनदेखी- ट्रंप के शांति प्रयास से यूरोपीय संघ अलग-अलग पड़ा? रूस-यूक्रेन पीस टॉक- अपने ही देश में जंग पर चर्चा से बाहर है यूक्रेन! पूरे विश्व की निगाहें ट्रंप-पुतिन की संभावित बैठक पर लगी हुई है।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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