Basant Utsav

बंगाल में दोल जात्रा की धूम

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को ‘दोल जात्रा’ का पर्व पारंपरिक उल्लास से मनाया जा रहा है। सभी आयु वर्ग के लोगों ने बड़ी संख्या में सड़कों पर आकर एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाया तथा बच्चों ने आने-जाने वाले लोगों पर रंग की बौछार की। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी। दोल जात्रा या दोल पूर्णिमा का पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार यह साल का अंतिम पर्व माना जाता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस अवसर पर लोगों को सोशल मीडिया के जरिये शुभकामनाएं दी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘सभी को दोल जात्रा की शुभकामनाएं। विभिन्न रंगों का त्यौहार हम सभी के जीवन में खुशियां, शांति और समृद्धि लेकर आए। विविधता, सद्भाव और समानता की भावना से हमें प्रेरणा मिले।’’ बता दें कि बंगाल में होली को श्रीकृष्ण का दोलयात्रा कहते हैं।

उत्तर भारत में यह सामाजिक उत्सव, पर बंगाल में धार्मिक उत्सव है। चैतन्य महाप्रभु ने बंगाल में होली उत्सव को श्रीकृष्ण के दोल यात्रा के रूप में प्रचलित किया। दोलयात्रा का महत्व क्या है? चैतन्य महाप्रभु लोगों को श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर वहां पहले श्रीकृष्ण को अबीर लगाने और उसके बाद अपने लोगों के बीच अबीर खेलने को कहा। बाद में मिठाई-मालपुआ खाकर आनंदोत्सव मनाने की बात भी कही। आज के दिन लोग रंग-गुलाल से एक-दूसरे को सराबोर करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × 4 =