बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के महान चिकित्सक की याद में मनाया जाता है डॉक्टर्स डे

कोलकाता। एक इंसान के जीवन की शुरुआत से लेकर उसकी सुरक्षा के लिए हर पड़ाव पर एक डॉक्टर उसके साथ होता है। बच्चा जब जन्म लेता है तो डॉक्टर ही हैं जो मां के गर्भ से शिशु को दुनिया में लाते हैं। उसके बाद शिशु को रोगों से बचाने और सेहतमंद रखने के लिए जरूरी सभी जानकारी और वैक्सीनेशन आदि भी डॉक्टर की जिम्मेदारी होती है। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके शरीर में बदलाव शुरू होते हैं। इन सब बदलावों, समाज व लाइफस्टाइल का असर इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। एक डॉक्टर ही शारीरिक, मानसिक तकलीफ से ग्रसित इंसान के सभी दर्द और रोगों का निवारण करता है। इसलिए भारत में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है।

डॉक्टरों के इसी सेवा भाव, जीवन रक्षा के लिए किए जा रहे प्रयत्नों और उनके काम को सम्मान देने के लिए हर साल भारत में 1 जुलाई को ‘डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है। इस दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ‘राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन करती है। सबसे पहले साल 1991 में भारत की सरकार ने राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के मनाने की शुरुआत की थी। इस दिन भारत के एक महान चिकित्सक बिधानचंद्र रॉय का जन्म हुआ था। दरअसल डॉ बिधान चंद्र राय बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह एक चिकित्सक भी थे, जिनका चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान था।

डॉक्टर बिधान चंद्र राॅय ने जादवपुर टीबी मेडिकल संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारत के उपमहाद्वीप में पहले चिकित्सा सलाहकार के तौर पर प्रसिद्ध हुए। 4 फरवरी, 1961 को डॉ बिधान चंद्र राॅय को भारत रत्न के सम्मान से भी नवाजा गया। उन्होंने मानवता की सेवा में अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत की। महात्मा गांधी के ही कहने पर डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय राजनीति में आए थे।

अच्छे चिकित्सक के साथ ही वह एक महान समाजसेवी, अच्छे राजनेता और  आंदोलनकारी भी थे। उन्होंने देश की आजादी के दौरान असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। उन्हें महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है। बिहार के पटना में जन्मे बिधानचंद्र की प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई थी। इसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड पहुंचे थे। उन्होंने सियालदाह से डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। अपनी सारी कमाई उन्होंने दान में दे दी थी। आजादी के दौरान लाखों घायलों की उन्होंने निशुल्क सेवा की थी।#

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