कोलकाता। भारत में पिछले 32 वर्षों से हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध और प्रसिद्ध डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय का सम्मान करता है। उन्होंने एक राजनेता, एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षा के समर्थक जैसी कई भूमिकाएं निभाईं। डॉक्टरों को सैनिक माना जाता है जो सीमाओं पर नहीं लड़ते बल्कि बीमारियों से पीड़ित लाखों लोगों की जान बचाते हैं। वे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें उनके बलिदानों को याद रखना चाहिए। इस दिन को मनाना जरूरी है।
भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानी नेशनल डॉक्टर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पुर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 में हुआ था और इसी दिन साल 1962 में 80 वर्ष की उम्र उनका निधन हो गया था। बिधान चंद्र रॉय की गिनती देश के महान चिकित्सकों में की जाती है। इतना ही नहीं विश्वभर में चिकित्सा के क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा है।
बता दें भारतीय समाज में डॉक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है। डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। भगवान एक बार जीवन देता, डॉक्टर बार-बार बचाता है। लेकिन वह डॉक्टर ही है जो भगवान के दिए इस जीवन पर संकट आने की स्थिति में हमारे जीवन की रक्षा करता है।
दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां डॉक्टरों ने भगवान से भी बढ़कर काम किया है और कठिन ऑपरेशन के बाद मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुके लोगों की जान बचाई है। बच्चे को जन्म देना हो या किसी वृद्ध को बचाना हो डॉक्टरों की मदद हमेशा मुश्किल से बचाती है। यही एक पेशा है जो सबसे पवित्र माना जाता है। कठिन परिश्रम और कई वर्षों की अथक पढ़ाई के बाद डॉक्टर बनता है।
मगर अब डॉक्टरी करने के बाद प्रेक्टिस करना भी एक डॉक्टर के लिए आसान बात नहीं रही। कई विपरीत परिस्थितियों में डॉक्टरों को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है। मगर अभी भी उनका एक ही ध्येय है कि वे लोगों की जान बचा सकें। हमें मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने में सभी डॉक्टरों के योगदान को याद रखना चाहिए। वे दूसरों को खतरे में बचाने के लिए अपना समय और जीवन बलिदान कर देते हैं। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के महत्व को समझना और इसके बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है।