पशु पंक्षी को मार कर घर, वस्त्र अलंकार साज-सज्जा में प्रयोग न करें : सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान

प्रयागराज । विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष में सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान के सदस्यों ने यह करबद्ध निवेदन किया कि हम अपने ड्राइंग रूम में पंक्षियों को मारकर उनके पंखों को सजावट का सामान बनाते हैं और रखते हैं हम वस्त्रों में कई प्रकार के पंक्षी के पंखो को सजाते हैं। हम अलंकार में भी इन पंखों का उपयोग करते हैं जिसे देखकर बहुत ही दुख और कष्ट होत है। हमें उनका संरक्षण करना चाहिए अगर वन उपवन में अपने आप पंख मिल जाए स्वाभाविक रूप से तो हम इस्तेमाल कर ले परंतु मार कर हम उन्हें सजावट की वस्तु ना बनाएं खासतौर सुंदर-सुंदर रंगीन पंख वाले जो पक्षी होते हैं उनका हम उनके पंखों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

सभी जीव को इस धरती पर जीने का एक समान अधिकार है। इसलिए आप सभी से आग्रह है सुंदर-सुंदर प्यारे-प्यारे पक्षियों को मार कर हम उनके पंखों का उपयोग अपने ड्राइंग रूम में, परिधान में, अलंकार में उपयोग ना करें ना ही खरीदें। इससे उनकी प्रजाति विलुप्त हो रही हैं। हमें पशु पक्षी का संरक्षण करना चाहिए यदि बाजार में इस तरह की सामग्री आए तो उन्हें खरीदना नहीं चाहिए। सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान की अध्यक्षा डॉ. रश्मि शुक्ला ने कहा की बड़ा दुख होता है जब हम घर की सजावट में, वस्त्रों की सजावट में और अलंकार में हम पशु पक्षियों का उपयोग करते हैं यह उचित नहीं है।

इस तरह की निर्मित सामग्रियों का उपयोग हमें नहीं करना चाहिए। बाजार से खरीदना नही चाहिए। हमें प्रकृति का संरक्षण करना है, मैं सभी से आग्रह करती हूं कि हमें पशु पक्षी का ध्यान रखना होगा। अपने शौक के लिए पशु पक्षी को मारना नहीं चाहिए। इस जागरूकता अभियान में सोनम पांडे, गिरजा अग्रवाल, अनुपमा सिन्हा, विनीता नारायण, नीलू सिंह, श्रुति मेहता आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुधीर कुमार शुक्ला ने की। कार्यक्रम में धन्यवाद दिया अनुश्री शुक्ला ने तथा चित्रांग शुक्ला उपस्थित रहें। विश्वधरती दिवस पर सब ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी और संकल्प किया कि हमको जल, वायु, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी सबका संरक्षण करना है। पशु पंक्षी को मार कर घर, वस्त्र अलंकार साज-सज्जा में प्रयोग न करें। सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान अध्यक्षा डॉक्टर शुक्ला

प्रयागराज में विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष में सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान के सदस्यों ने यह करबद्ध निवेदन किया कि हम अपने ड्राइंग रूम में पंक्षियों को मारकर उनके पंखों को सजावट का सामान बनाते हैं और रखते हैं हम वस्त्रों में कई प्रकार के पंक्षी के पंखो को सजाते हैं। हम अलंकार में भी इन पंखों का उपयोग करते हैं जिसे देखकर बहुत ही दुख और कष्ट होत है।हमें उनका संरक्षण करना चाहिए अगर वन उपवन में अपने आप पंख मिल जाए स्वाभाविक रूप से तो हम इस्तेमाल कर ले परंतु मार कर हम उन्हें सजावट की वस्तु ना बनाएं खासतौर सुंदर-सुंदर रंगीन पंख वाले जो पक्षी होते हैं उनका हम उनके पंखों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

सभी जीव को इस धरती पर जीने का एक समान अधिकार है। इसलिए आप सभी से आग्रह है सुंदर-सुंदर प्यारे-प्यारे पंक्षी को मार कर हम उनके पंखों का उपयोग अपने ड्राइंग रूम में परिधान में अलंकार में उपयोग ना करें ना ही खरीदें। इससे उनकी प्रजाति विलुप्त हो रही हैं। हमें पशु पक्षी का संरक्षण करना चाहिए यदि बाजार में इस तरह की सामग्री आए तो उन्हें खरीदना नहीं चाहिए। सामाजिक सेवा एवं शोध संस्थान की अध्यक्षा डॉ रश्मि शुक्ला ने कहा की बड़ा दुख होता है जब हम घर की सजावट में वस्त्रों की सजावट में और अलंकार में हम पशु पंक्षी का उपयोग करते हैं।

यह उचित नहीं है इस तरह की निर्मित सामग्रियों का उपयोग हमें नहीं करना चाहिए। बाजार से खरीदना नही चाहिए। हमें प्रकृति का संरक्षण करना है मैं सभी से आग्रह करती हूं कि हमें पशु पक्षी का ध्यान रखना होगा। अपने शौक के लिए पशु पक्षी को मारना नहीं चाहिए। इस जागरूकता अभियान में सोनम पांडे, गिरजा अग्रवाल, अनुपमा सिन्हा, विनीता नारायण, नीलू सिंह, श्रुति मेहता आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सुधीर कुमार शुक्ला ने की कार्यक्रम में धन्यवाद दिया अनुश्री शुक्ला ने तथा चित्रांग शुक्ला उपस्थित रहें।

विश्व धरती दिवस पर सब ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी संकल्प किया कि हमको जल, वायु, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी सबका संरक्षण करना है। प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाना है।प्लास्टिक सामग्री का उपयोग नहीं करना है। बाजार जाए तब कपड़े के थैले को अपने साथ ले चले। जल को बचाएं। गर्मी बहुत पड़ रही है तो अपने आंगन में बालकनी में छत पर सब जगह एक बर्तन में पानी भरकर रखें। भारत सरकार से भी निवेदन है कि कृपया सभी सरकारी दफ्तरों में, स्टेशन में पशु पक्षियों के पानी की व्यवस्था की जाए। छोटी-छोटी बातें हमारे जीवन के लिए उपयोगी होती हैं। कार्यक्रम का समापन स्वदेशी खाद्य सामग्री आम का पन्ना, मट्ठा, छाछ के साथ हुआ।

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