कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर बुधवार को तीखा हमला बोला है। बीरभूम के बोलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है उनके साथ केंद्र की सरकार जमकर भेदभाव कर रही है। पश्चिम बंगाल के वित्तीय भुगतान में देरी से खफा मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल से बड़ी राशि जीएसटी के तौर पर वसूल कर केंद्र सरकार ले जाती है लेकिन राज्य को उसका हिस्सा नहीं देती। राज्य में 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना, मिड डे मील समेत अन्य योजनाओं में वित्तीय आवंटन नहीं करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जहां जहां भाजपा की सरकार नहीं है उन राज्यों के साथ खूब भेदभाव हो रहा है। जबकि भाजपा के नेता बंगाल में केवल बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।
सीमा से सटे जिले बीरभूम में संबोधन के दौरान ममता ने एक बार फिर नागरिकता अधिनियम (सीएए) का जिक्र किया और कहा कि बंगाल में इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दूंगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बजट में बड़ी-बड़ी बातों के जरिए लोगों को बरगलाने की कोशिश हो रही है ठीक उसी तरह से नागरिकता अधिनियम के नाम पर कुछ लोगों को डराने और कुछ लोगों को भ्रमित करने का काम हो रहा है। बंगाल में जो शरणार्थी समुदाय के लोग हैं वे वोट देते हैं और उनके पास पहचान संबंधी सारे वैध दस्तावेज हैं। ऐसे में उन्हें अलग से नागरिकता देने का कोई औचित्य नहीं। मैं किसी भी कीमत पर बंगाल में सीएए लागू नहीं होने दूंगी। माना जा रहा है कि बीरभूम जो सीमा से सटा हुआ जिला है और वहां बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक आबादी है। उनके बीच एक बड़ा संदेश देने के लिए मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है।
ममता रोक नहीं पाएंगी : भाजपा
ममता के इस बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा है कि हकीकत यही है कि ममता लोगों को गुमराह कर रही हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि किसी भी देश के नागरिक जो भारत में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं उन्हें नागरिकता देना है या नहीं देना पूरी तरह से केंद्र का अधिकार है। बंगाल में रह रहे मतुआ समुदाय के लोग सदियों से नागरिकता की उम्मीद में हैं। उन्हें हमेशा इस बात का वादा कर कुछ नहीं दिया गया। वर्तमान केंद्र सरकार निश्चित तौर पर मतुआ समुदाय को स्थाई नागरिकता देगी। इसे रोकने की क्षमता ममता बनर्जी की नहीं है। वह केवल देखती रह जाएंगी।