Kolkata Desk: राज्य सचिवालय नवान्न से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि दुर्गा पूजा के बाद अगर कोरोना की स्थिति नियंत्रित रही तो स्कूलों को खोल दिया जाएगा। अभी स्कूल खोलने लायक हालात नहीं हैं और ना ही लोकल ट्रेन चलाने लायक हालात हैं। बंगाल में जल्द विधानसभा उपचुनाव कराने की मांग पर बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य में लोकल ट्रेन चलाने और स्कूल खोलने के हालात नहीं हैं, लेकिन विधानसभा उपचुनाव कराने की जल्दी है।
उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए नवंबर के पहले विधानसभा का सदस्य होना होगा, इसलिए ममता बनर्जी जल्द विधानसभा उपचुनाव कराने की मांग कर रही हैं।ज्ञातव्य है कि एक दिन पहले ही नवान्न से ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि दुर्गा पूजा के बाद अगर कोरोना की स्थिति नियंत्रित रही तो स्कूलों को खोल दिया जाएगा। अभी स्कूल खोलने लायक हालात नहीं हैं और ना ही लोकल ट्रेन चलाने लायक हालात हैं।
हालांकि इस दौरान ममता बनर्जी ने जल्द से जल्द बंगाल में उप चुनाव की तारीखों की घोषणा करने की मांग चुनाव आयोग से की थी और कहा था कि कोरोना से हालात काबू में हैं। दिलीप घोष ने सवाल खड़ा किया और पूछा कि ममता बनर्जी आखिर दोहरा रुख क्यों अख्तियार कर रही हैं। जब बात उपचुनाव की होती है तो वह कहती हैं कि कोरोना के हालात नियंत्रित हैं और उपचुनाव जल्द से जल्द होना चाहिए, लेकिन बात जब स्कूल खोलने और लोकल ट्रेन चलाने की होती है तो कहती है कि हालात ठीक नहीं है। राज्य की जनता समझदार है और सब कुछ समझती है।
दिलीप घोष ने कहा कि दूसरे राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं और लोकल ट्रेन भी चल रही हैं लेकिन बंगाल में ऐसा नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि अभी कोरोना के हालात काबू में नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार को उपचुनाव की जल्दी क्यों है, इस बारे में ममता को स्पष्ट करना चाहिए। दिलीप घोष ने कहा कि उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद जाने की चिंता सता रही है। लोगों की सेहत की कोई फिक्र नहीं है।
पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग की परीक्षा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी साइकिल वितरण योजना “सबुज साथी” से जुड़े सवाल पूछे जाने पर भी दिलीप घोष ने तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक लाल यानि वामपंथियों का शासन रहा है अब हरे रंग का शासन है। ममता सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्कूल के छात्रों से लेकर WBCS अधिकारियों तक में उनके प्रति वफादारी है कि नहीं, इसीलिए पॉलिटिकल कैडर तैयार करने की कोशिश हो रही है।