कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार एक बार फिर कलकत्ता हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी का शिकार बनी
है। हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस टिप्पणी में ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। जस्टिस गंगोपाध्याय ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य बन गया है, जहां बिना पैसे दिए कोई न तो सरकारी नौकरी हासिल कर सकता है और न ही उसे सुरक्षित रख सकता है। जस्टिस ने ये गंभीर टिप्पणी एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक टीचर की बर्खास्तगी के मामले में सुनवाई के दौरान की।
कोर्ट ने इस मामले में पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस TMC के विधायक माणिक भट्टाचार्य का नाम भी लिया। कोर्ट की इस गंभीर टिप्पणी पर टीएमसी की तरफ से कुछ नहीं कहा जा रहा है। वहीं, विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर भ्रष्टाचार का नया उदाहरण करार दे रहा है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि शायद वादी ने माणिक भट्टाचार्य को पैसे नहीं दिए।
इसी वजह से उनका रोजगार छीन लिया गया। बता दें कि जस्टिस गंगोपाध्याय ने पहले आदेश देकर माणिक को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड से हटवा दिया था। इस साल जून में उन्होंने WBBPE में भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश भी दिए थे। जिस मामले में कोर्ट ने भ्रष्टाचार की तल्ख टिप्पणी की है, वो केस मिराज शेख ने दायर की है। मिराज को साल 2021 में मुर्शिदाबाद के एक सरकारी स्कूल में टीचर की नौकरी मिली थी। 4 महीने बाद ही बोर्ड ने ये कहकर उनकी नौकरी खत्म कर दी कि वो मापदंड के मुताबिक आरक्षित श्रेणी में नियुक्त होने लायक नहीं हैं।
क्योंकि उनके पास ग्रेजुएशन में 45 फीसदी अंक नहीं हैं। मिराज शेख ने नौकरी से बर्खास्तगी को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने अपने पक्ष में ग्रेजुएशन की डिग्री दाखिल की थी। इस डिग्री के मुताबिक मिराज को 46 फीसदी अंक मिले थे। जस्टिस गंगोपाध्याय ने इस मामले में वादी और सरकारी पक्ष को सुनने के बाद मिराज को तुरंत बहाल करने का आदेश भी दिया। बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला सामने आया था। जिसमें ईडी ने ममता सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी और एक एक्टर अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार कर 50 करोड़ से ज्यादा की रकम और संपत्ति बरामद की है।