Img 20231109 Wa0047

धनतेरस 10 नवम्बर शुक्रवार को को, शुभ मुहूर्त में करें खरीदारी एवं पूजन

वाराणसी। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवम्बर शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और 11 नवम्बर शनिवार दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। धनतेरस का पर्व प्रदोष काल में मनाया जाता है, वहीं प्रदोष काल 10 नवंबर शुक्रवार को शाम को 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात्रि 08 बजकर 08 मिनट तक है। ऐसे में इस बार धनतेरस का पर्व 10 नवंबर शुक्रवार को ही मनाया जाएगा, क्योंकि 11 नवंबर शनिवार को त्रयोदशी तिथि प्रदोष से पहले ही दोपहर को समाप्त हो रही है इसलिए धनतेरस का पर्व 10 नवम्बर शुक्रवार को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन शाम को श्रीगणेश जी, माता लक्ष्मी जी, यमराज जी, भगवान कुबेर जी और भगवान धनवंतरी जी का पूजा करे।

धनतेरस पूजा करने की विधि : पहले आत्म पूजा करें फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें एक लकड़ी का पाटा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं फिर धन्वंतरि और लक्ष्मीनारायण श्रीगणेश की पूजा करने के लिए सबसे पहले धनतेरस पर शाम को पूड़ी या रोटी पर सरसों तेल का दिया जलाकर रख दें और दीपक पर रोली और चावल का तिलक लगाएं। दीपक में थोड़ा सा मीठा डालकर भोग लगाएं फिर देवी लक्ष्मी और गणेश भगवान को कुछ पैसे चढ़ाएं। दीपक का आशीर्वाद लेकर दिए को मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के प्रकोप से सुरक्षित रहते हैं और अकाल मृत्यु नहीं होती। इसे यमदीप दान भी कहा जाता है।

दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए :
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है : त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर सागर मंथन के बाद प्रकट हुए। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है, भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं, संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ऐसी मान्यता है की इस दिन बर्तन खरीदना चाहिए, विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार इस दिन की गई खरीददारी लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करती है।

धनतेरस पर बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है लेकिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए कभी भी घर में नए बर्तन खाली ला रखें, बर्तन खरीद कर लाने के बाद इसे पानी से भर दें, पानी को सौभाग्य का दूसरा स्वरुप माना जाता है। इससे घर में सुख, सम्पन्नता आएगी, बर्तनों को खाली न रखें, ऐसा करना बेहद अशुभ होता है। इस दिन लोहे, स्टील एवं कांच के वर्तन खरीदने से बचना चाहिए।

धन, धान्य और समृद्धि के पर्व धनतेरस पर पूजन इन शुभ मुहूर्त में करें…
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त : 10 नवम्बर शुक्रवार शाम 5:30 से रात्रि 08:08 तक।
प्रदोष काल : शाम 5:30 बजे से 08:08 बजे तक।
वृषभ काल : शाम 05 :48 से शाम 07: 44 तक।

प्रॉपर्टी, जमीन, जायदाद, मकान, दुकान, आभूषण, सोना, चांदी, वर्तन, मूर्ति, दोपहिया व चार पहिया वाहन, टीवी, फ्रिज, एसी, कंप्यूटर, लैपटॉप खरीदने, निवेश करने और नए उद्योग की शुरुआत, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, धन, धान्य, समृद्धि के लिए एवं अन्य कीमती धातु के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त इस प्रकार है।
दोपहर 01:05 से 02:29 बजे तक।
दोपहर 02:45 से 05:30 बजे तक।
शाम 5:32 बजे से रात 06:04 बजे तक।

शेयर आदि की खरीद-फरोख्त शुभ मुहूर्त : शेयर आदि की खरीद-फरोख्त के लिए 10 नवंबर शुक्रवार शाम 5:46 बजे से शाम 6 बजकर 22 मिनट तक का समय शुभ है। इस दिन खरीददारी करने से घर परिवार, ऑफिस में सुख समृद्धि आती है।

धनतेरस पर करें यह उपाय होगी माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त :
साबुत धनिया देगी धन की वर्षा : 50 ग्राम साबुत धनिया खरीद कर धनतेरस को लाएं और उसी दिन मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी के चरणों में रखें। साथ ही भगवान से अपनी मेहनत के बल पर मिलने वाले धन की मांग करें और ये जरूर मिलेगा। बाद में इस धनिया को प्रसाद के रूप में वितरित भी करें।

धनतेरस के दिन झाड़ू जरूर खरीदनी चाहिए : ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है। बताया जाता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है। खरीदी गई झाड़ू का इस्तेमाल छोटी दीपावली के दिन करें।

गौ माता की पूजा : सनातन धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है लेकिन दक्षिण भारत में एक ख़ास परम्परा है। यहां धनतेरस पर गाय की पूजा की जाती है क्योंकि यहां के लोग गौ माता को देवी लक्ष्मी का ही एक रूप मानते हैं इसलिए इस दिन यहां गाय का साज श्रृंगार करके लोग इसकी पूजा करते हैं।

धनतेरस के दिन घर में दक्षिणा वर्ती शंख लाना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है इस शंख से देवी लक्षणी अत्यंत प्रसन्न होती है और घर में प्रवेश करती है। रुद्राक्ष की माला खरीदना भी शुभ होता है। श्री धनवंतरी जयंती 11 नवम्बर शनिवार को होगी।

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो : 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 − six =