देवर्षि नारद मुनि जयंती आज

वाराणसी । देवर्षि नारद तीनों लोकों के दूत कहे जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। इनके एक हाथ में वाद्य यंत्र और दूसरे हाथ में वीणा हुआ करती थी और ये भगवान विष्णु का नाम जपा करते थे। नारद मुनि को तीनों लोकों का संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है। ये नारायण नारायण का जाप करते हुए तीनों लोकों का भ्रमण करते रहते थे। कथाओं के अनुसार नारद मुनि का पूर्व जन्म में नाम उपबर्हण था।

उपबर्हण का जन्म गंधर्व कुल में हुआ था। कहा जाता है कि कुछ अप्सराएं और कुछ गंधर्व ब्रह्मा जी की आराधना कर रहे थे तो उपबर्हण स्त्री के वेश में आ गए थे तभी ब्रह्मा जी को गुस्सा आया। उन्होंने श्राप दिया की अब तुम्हारा अगला जन्म शूद्र कुल में होगा और तुम अपना पूरा जीवन ईश्वर की आराधना में व्यतीत करोगे। उपबर्हण का अगला जन्म नारद ऋषि के रूप में हुआ और उन्होंने अपना पूरा जीवन ईश्वर की आराधना में व्यतीत कर दिया।

नारद जयंती 2022 कब है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनायी जाती है। कभी-कभी नारद जयंती, बुद्ध पूर्णिमा के दूसरे दिन पड़ती है। नारद जयंती 2022 में 17 मई दिन मंगलवार को पड़ रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नारद जी ब्रह्माण्ड के किसी भी जगह जा सकते थे। वह पूरे ब्रह्माण्ड की खबर रखते थे। नारद मुनि द्वारा किये गए कार्य इस जगत की भलाई के लिए थे।

नारद जयंती का शुभ मुहूर्त :
नारद जयंती का शुभ मुहूर्त कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 16 मई समय सुबह 9 बजकर 43 मिनट से लेकर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 17 मई सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक होगा।

नारद जयंती का महत्व क्या है?
हिन्दू धर्म में नारद जयंती उत्सव के रूप में मनाई जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार ये ब्रह्माण्ड के संदेशवाहक थे।
नारद मुनि सरस्वती जी के पुत्र थे।
ये भगवान विष्णु के परम भक्त थे तभी नारद जी का महत्व अधिक बढ़ जाता है।

पूर्णिमा में यह जयंती पड़ने के कारण हिन्दू धर्म के लोग नारद जयंती को उत्साह के मनाते हैं।
कहते हैं कि नारद जी की आराधना से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
नारद जी जगत कल्याण के लिए सदैव तैयार रहते थे।
नारद जयंती को हम पूर्ण आराधना के साथ देवर्षि नारद जी की पूजा करते हैं।

नारद जयंती की पूजा विधि :
नारद जयंती की पूजा के लिए पूजा घर को साफ़ कर लेना चाहिए।
नारद जयंती के दिन सूर्य के उदय होने से पहले स्नान कर लेना चाहिए।
वस्त्र धारण करके अपने व्रत को पूर्ण करने का संकल्प लेकर नारद जी की पूजा करें।
नारद जयंती के दिन जरूरतमंदों को दान करें जिससे आपके द्वारा किये गए पाप ख़त्म हो जाते हैं।

manoj jpg
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + eleven =